मोहन मरकाम के दिल्ली दौरे की चर्चा क्या उनके बढ़ते लोकप्रियता की वजह से है...

मोहन मरकाम के दिल्ली दौरे की चर्चा क्या उनके बढ़ते लोकप्रियता की वजह से है...

दिल्ली।छत्तीसगढ़ के निवर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष और वर्तमान में प्रदेश सरकार में केबिनेट मंत्री मोहन मरकाम इन दिनों दिल्ली दौरे पर हैं।जिसकी सोशल मीडिया से लेकर पूरे कांग्रेस खेमें में चर्चा का विषय बना हुआ है,तो क्या यह उनकी दिनबदिन बढ़ती लोकप्रियता की वजह से है...तो शायद इसका उत्तर हां में होगा। दरअसल मरकाम कांग्रेस अध्यक्ष रहते अपने जिस कुशल व्यवहार व सांगठनिक क्षमताओं से बुलंदियों को छुआ वह छत्तीसगढ़ की राजनीति में अब तक का एक उदाहरण है।सामान्यतया यही माना और देखा जाता है कि जिन राज्यों में जिस पार्टी की सरकार रहती है वहां संगठन एक तरह से सत्ता में विलय की तरह देखा गया है या कहें ऐसा प्रतीत होता है,परंतु मोहन मरकाम जब तक अध्यक्ष रहे स्वतंत्र रूप से पार्टी हित में काम कर दमदारी से निर्णय लेते रहे जिससे संगठन का स्वरूप एक पृथक पॉवर सेंटर के रूप में जाना और पहचाना जाते रहा और शायद छत्तीसगढ़ में संगठन की मजबूती का यही सबसे बड़ा कारण भी रहा। 

राजनीति में बहुत कम लोग होते हैं जिन्हें वहां की जनता और उसके पार्टी कार्यकर्ता किसी एक व्यक्ति को हर भूमिका में स्वीकार कर पाते हैं।परंतु छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नाम मोहन मरकाम ऐसा हो गया है कि लोगों को अब यह चेहरा हर स्वरूप में स्वीकार्य है।इसके पीछे की वजह भी है कि राजनीति में जब कोई व्यक्ति ज्यादा शक्तिशाली या पॉपुलर हो जाता है तो वह अपना मूल स्वरूप और वास्तविक स्वभाव को भूलने लगता है और उसमें बदलाव आने लगते हैं।परंतु मोहन मरकाम ने यह गलती कभी नहीं कि, वही उनका पुराना अंदाज लोगों से खुले दिल से मिलना। मुस्कुरा कर बात करना।ठहाकों की गूंज के साथ भीड़ में भी सभी से सहजता से व्यवहार करना कि वह भी एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह हैं और उनकी बात को ध्यान से सुनना..यह सब लोगों को खूब पसंद आया।पीसीसी चीफ रहते उनका यही अंदाज कांग्रेस के छोटे कार्यकर्ताओं को भी उनसे जोड़े रखा और आज सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं तो भी उनका वही व्यवहार लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है।राजनीति के पंडित इन्हीं वजह से मोहन मरकाम को "लंबी रेस का घोड़ा" मानते हैं।

नेतृत्व नेता का व्यक्तिगत गुण होता है, जो अपने व्यवहार से अन्य व्यक्तियों के व्यवहार में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है और कार्यकर्ताओं में यह परिवर्तन लाने मरकाम सफल रहे और वे एक के बाद एक विजय पार्टी को दिलाते चले गए।पार्टी हाईकमान भी उनके क्षमताओं से संतुष्ट नजर आया और एक जिम्मेदारी से पृथक होते ही दूसरी जिम्मेदारी से बांध दिया।आज सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर भी वे लोगों के बीच उतना ही लोकप्रिय हैं कि कल जितना पार्टी चीफ रहते थे और इसका फायदा कांग्रेस को जरूर मिलेगा।इस बीच जब वे इस समय मंत्री बनने के बाद पहली बार दिल्ली दौरे पर हैं तो फिर एक बार मोहन मरकाम की चर्चा जोरों पर है।

मोहन मरकाम इस बीच दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।आज वे के सी वेणुगोपाल से मुलाकात की है।उन्होंने कल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा से मुलाक़ात की थी।इस दौरान मोहन मरकाम के साथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, प्रभारी सचिव सप्तगिरी उल्का, चंदन यादव और सह प्रभारी विजय जांगिड़ भी साथ रहे।बताया जा रहा कि मरकाम राहुल गांधी से भी मुलाकात कर सकते हैं।बता दें कि मरकाम चार साल से भी ज्यादा समय तक छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और पूरे समय वे लगातार सक्रिय रह कर संगठन की बारीकियों को समझ उसके मजबूती के लिए काम करते रहे।उन्हीं के कार्यकाल में नए चेहरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का चलन शुरू हुआ और युवा चेहरों के बलबूते वे बाजी मारते चले गए।विपक्ष उन्हें कभी भी टारगेट नहीं कर सकी इसलिए कि वे बेदाग छबि के राजनेता के साथ-साथ व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप से दूर रहे। विपक्ष खुद उनकी कार्यप्रणाली का कायल रहा।

आज उनकी शादी की सालगिरह पर हम उन्हें बधाई प्रेषित करते हैं।