पूर्व मंत्री राजेश मूणत का पश्चिम विधानसभा से टिकट कटना तय! भाजपा से कई नए दावेदार हुए अचानक से सक्रिय?जानिए वो कौन से चेहरे हैं...

पूर्व मंत्री राजेश मूणत का पश्चिम विधानसभा से टिकट कटना तय! भाजपा से कई नए दावेदार हुए अचानक से सक्रिय?जानिए वो कौन से चेहरे हैं...

रायपुर(छत्तीसगढ़)।रायपुर पश्चिम विधानसभा में लगातार 15 वर्षों तक प्रतिनिधित्व कर चुके और भाजपा सरकार में लगातार 15 वर्षों तक कद्दावर मंत्री रहे राजेश मूणत की मुश्किलें अब अपने ही पार्टी के अंदर बढ़ते जा रही है।पिछले कुछ दिनों में ही आपत्तिजनक एक के बाद एक इनका वीडियो वायरल होने के बाद पश्चिम विधानसभा में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है।अब इन वीडियो को कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा के लोग ही अधिक से अधिक शेयर कर मजा ले रहे हैं और यह चर्चा करते सुने जा रहे हैं कि भाजपा की पूरी की पूरी टीम भी अब यदि मूणत के समर्थन में उतर जाएगी तो जनता हमें वोट नहीं देगी और कई अन्य दावेदार जो वर्षों से चुनाव लड़ने की बाट जोह रहे हैं,वे अचानक से सक्रिय हो गए हैं। इस सूची में अधिकांश नाम उन पार्षद व पार्षद पतियों व रिश्तेदारों की है जो राजेश मूणत को चुनाव जिताने दिन रात एक कर देते हैं। इस बीच क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय का अभी तक इस पूरे घटनाक्रम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।बताया जा रहा है कि वे सही वक्त का इंतजार कर रहे हैं।

राजधानी रायपुर का पश्चिम विधानसभा क्षेत्र आजकल क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय की सक्रियता से हट कर कुछ और वजह से चर्चा में है। दरअसल इस क्षेत्र में लगातार 15 बरस तक भाजपा के विधायक व भाजपा सरकार में मंत्री रहे राजेश मूणत की कुछ ऐसी हरकतें लगातार जनता के बीच लोगों को शर्मसार कर रही है जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती थी। पूर्व मंत्री मूणत का सरकार के साथ लड़ने का तरीका लोगों को समझ नहीं आ रहा है। मूणत वायरल वीडियो के माध्यम से अपना वह चरित्र उजागर कर रहे हैं,जो किसी को स्वीकार्य नहीं है।इसके पूर्व भी उनको लेकर चर्चा होते रहती थी कि उनका जुबान पर काबू नहीं रहता है।परंतु लगातार पॉवर में होने की वजह से उनकी ये खूबी दब कर रह जाती थी। हालांकि पिछले दो बार के विधानसभा चुनाव में इसका असर भी देखने मिला। पहली बार तब जब वे कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय से चुनाव हारते-हारते रह गए थे। बावजूद उनमें कोई खास सुधार नहीं आया।इसलिए कि प्रदेश में भाजपा की सरकार फिर से काबिज हो गई और मूणत केबिनेट मंत्री बन गए,पर 2018 के चुनावी समर में कांग्रेस पार्टी से दोबारा चुनाव लड़े विकास उपाध्याय ने अपने व्यवहार व सक्रियता के दम पर राजेश मूणत को बड़े अंतर से शिकस्त दे दी।

हाल ही के दिनों पूर्व मंत्री राजेश मूणत का गालीगलौच वाला वीडियो चर्चा में है और इसे लेकर भाजपा के लोग ही खासे चिंतित हैं। पार्टी के अंदर ही इस व्यवहार का विरोध होने लगा है। भाजपा के कार्यकर्ता वर्तमान विधायक विकास उपाध्याय व मूणत के बीच व्यवहार का तुलनात्मक अध्ययन कर रहे हैं और ये कहते सुने जा रहे हैं कि ये तो जमीन व आसमान में अंतर करने जैसा है। बताया यह भी जा रहा है कि भले ही कुछ बड़े नेता गुमराह हो कर मूणत का साथ दे रहे हैं पर दिल्ली तक इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी पहुंच गई है और तय माना जा रहा है कि अब की बार मूणत को विधानसभा चुनाव में पश्चिम तो क्या कहीं से भी टिकट मिलना मुश्किल है।इस तरह से इनका टिकट कटना तय है। इस खबर से पश्चिम विधानसभा में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। कई दावेदार जो अब तक शांत थे वे अपने स्तर में सक्रिय हो गए हैं।खबर तो ये भी है कि भाजपा के ही अधिकांश लोग हैं जो मूणत के इन वीडियोस को शेयर करने अधिक रुचि ले रहे हैं।

पश्चिम विधानसभा में मूणत के स्थान पर अपने आप को मजबूत दावेदार मानने वालों की सूची भी कम नहीं है।इस सूची में सबसे पहला नाम महिला विंग में पदाधिकारी व सक्रिय रहने वाली वर्तमान में पार्षद मीनल चौबे का आता है। मीनल चौबे महिला होने के साथ ही ब्राम्हण हैं और इस विधानसभा में ब्राम्हणों की अहम भूमिका रहती है कि जीत की दिशा किस ओर ले जाएगी।वहीं भाजपा इस बार साहू वोटरों को साधने के उद्देश्य से इस क्षेत्र से साहू उम्मीदवार खड़ा कर सकती है। मोतीलाल साहू इसके पूर्व भी प्रत्याशी रह चुके हैं,जो स्वाभाविक तौर पर एक दावेदार हैं,तो खमतराई क्षेत्र जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता है और भाजपा यहां से लगातार लिड भी लेते रही है भाजपा और मूणत के लिए वर्षों से कार्य कर रहे गज्जू साहू जो पार्षद पति हैं का नाम भी इस सूची में प्रमुखता से लिया जा रहा है।सुंदर नगर के पार्षद मृत्युंजय दुबे, रायपुर नगर निगम में सभापति रह चुके प्रफुल्ल विश्कर्मा भी वर्षों से इस इंतजार में हैं कि चुनाव लड़ा जाए और इस बार मौके के तलाश में हैं। आशु चंद्रवंशी एक ऐसा नाम जो पूरी सूची में सब पर भारी पड़ सकता है। आशु चंद्रवंशी का संगठन से लेकर क्षेत्र में जनता के बीच भी अच्छी पकड़ बताया जाता है और संगठन ने शायद उस लिहाज से उन्हें विकल्प के तौर पर पूर्व से ही जिम्मेदारी दे रखी है।इस तरह से इन दावेदारों ने भी अब ताल ठोक दिया है।