5 दिन तक सतह में जिंदा रह सकता है - कोरोना वायरस
लंदन : समय के साथ साथ कोरोना वायरस अब संक्रमण का दायरा भी बढ़ाते जा रहा है । लंदन कॉलेज ऑफ यूनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक ये खुलासा हुआ है की, कोरोना वायरस किसी सतह पर पांच दिनों तक आसानी से जिंदा रह सकता है और अगर प्रतिकूल वातावरण मिला तो दस घंटे के अंदर बड़े क्षेत्र में अपना प्रसार कर सकता है। अध्ययन में ब्रिटेन के ग्रेट ओरमंड स्ट्रीट हॉस्पिटल के बेड की रेलिंग पर संक्रमण छोड़ने के दस घंटे के बाद पूरे अस्पताल की गहराई से छानबीन की गई तो यह पूरे वार्ड के कोने-कोने तक फैल चुका था।
अस्पताल में लिए गए नमूनों में 50 फीसदी में वायरस मिला। शोधकर्ताओं ने प्रयोग के दौरान एक मरीज की श्वांस से लिए गये कोरोना वायरस और कृत्रिम तौर पर पौधों को संक्रमित करने वाले वायरस का इस्तेमाल किया, जो मनुष्य को संक्रमित नहीं कर सकता था। इसके बाद दोनों को पानी की एक बूंद में दोनों को मिलाकर रेलिंग पर छोड़ गया।
पांच दिन बाद वार्ड के 44 स्थानों से सैकड़ों नमूने लिए गए। दस घंटे बाद ही लिए प्रारंभिक नमूनों से ही खुलासा हुआ कि बेड रेलिंग, दरवाजों के हैंड, कुर्सियों, वेटिंग रूम से लेकर बच्चों के खिलौनों और किताबों तक वायरस फैल चुका था। तीन दिन बाद जब फिर नमूने लिए गए तो पता चला कि संक्रमण 41 फीसदी से बढ़कर 59 फीसदी क्षेत्र तक फैल चुका है।
अस्पताल के स्टॉफ, मरीजों और आगंतुकों के जरिये यह वायरस अस्पताल में फैलता चला गया। शोध के तीसरे दिन तक 86 फीसदी नमूनों में यह संक्रमण मिला। पांचवें दिन के बाद ही संक्रमण में कमी देखी गई।
साफ-सफाई में लापरवाही पड़ती है भारी
इस शोध के अग्रणी लेखक डॉ. लीना सिरिक ने का कहना है कि हमारी पड़ताल दिखाती है कि कैसे कोई सतह वायरस के प्रसार में कितनी तेजी से काम करती है और साफ-सफाई में लापरवाही किस कदर भारी पढ़ सकती है। यह दिखाता है कि खांसना, छींकना या श्वास ही खतरा नहीं है, एक बूंद भी वायरस भी सतह के बाद आंख, नाक और मुंह को छूने से बड़ा खतरा बन सकता है। यह शोध जर्नल ऑफ हॉस्पिटल इनफेक्शन में प्रकाशित हुआ है।