बीजेपी का प्लान 2023: छत्तीसगढ़ में नए युवा चेहरों को आगे कर फतह की तैयारी...गौरीशंकर श्रीवास की लोकप्रियता शिखर पर

बीजेपी का प्लान 2023: छत्तीसगढ़ में नए युवा चेहरों को आगे कर फतह की तैयारी...गौरीशंकर श्रीवास की लोकप्रियता शिखर पर

रायपुर(छत्तीसगढ़)।भाजपा को एक ऐसी पार्टी माने जाता रहा है कि यहां पार्टी से जुड़े नेताओं को बोलने की उस तरह की आजादी नहीं होती है,जैसे कि अन्य पार्टियों में।किसी नेता को कोई बात सार्वजनिक तौर पर रखनी भी है तो उसे एक प्रक्रिया के तहत सहमति की जरूरत होती है।परंतु ओम माथुर के प्रभारी के तौर पर काम संभालने के बाद जिस तरह से बोलने की आजादी में डील  मिली है। उससे पार्टी के अंदर मौजूद उन प्रतिभाओं की पहचान सार्वजनिक तौर पर होने लगी है,जो बहुत कुछ करने की क्षमता रखते हैं और जनमानस के अंदर क्रांति भी ला सकते हैं।हाल ही के दिनों जिस तरह से भ्रष्टाचार से लेकर विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा का युवा ब्रिगेड रोड़ पर उतर कर आंदोलनरत है उससे तो यही लग रहा है,बीजेपी आगामी चुनाव में भ्रष्टाचार को ही बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है।अब देखना होगा सत्तारूढ़ पार्टी इसका जवाब किस तरह से देती है।

छत्तीसगढ़ में लगातार 15 वर्षों बाद या फिर हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की मूल वजह कहीं न कहीं उसका सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार का ही रहा है।छत्तीसगढ़ की बात करें तो पिछले चुनाव में रमन सरकार के विरुद्ध एन्टी इनकंबेंसी एक वजह तो रही ही साथ ही नान घोटाला से लेकर कई ऐसे भ्रष्टाचार के मुद्दे को कांग्रेस ने जिस तरह से प्रचारित किया और उससे प्रदेश के जनमानस में एक ऐसा वातावरण बन गया कि जनता ने यह ठान लिया कि रमन सरकार को उखाड़ फेंकने में ही भलाई है,यह बात और है कि सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस सत्ता में आने के बाद अपने साढ़े 4 साल के कार्यकाल में बीजेपी की रमन सरकार पर लगाये एक भी आरोपों को साबित न कर सकी बल्कि कांग्रेस आज भी वही आरोपों को बार-बार बयानों में दुहराते रही है और आज जब चुनाव को चंद महीनें शेष है तो बीजेपी भी वही तरीका आजमा रही है।फर्क इतना है कि अब की बार यह जिम्मेदारी बीजेपी के सीनियर नहीं बल्कि युवा और नए चेहरों ने ले ली है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा के अभी तक कि रुख से तो  यही लग रहा है कि अगामी चुनाव में उसे मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा या किसकी टिकट काटे जाएगी जैसे चीजों से कोई लेना देना नहीं है।बल्कि इस बात पर फोकस है कि वो कौन से मुद्दे हो सकते हैं,जिससे कि आम जनता का हित प्रभावित होगा,पर काम कर रही है, साथ ही ऐसे मुद्दों को उन चेहरों को आगे कर उठाना चाहती है कि लोग उस पर विश्वास करें।इससे यह बात भी स्पष्ट हो गई है कि ओम माथुर 15 साल के पुराने चेहरों को सामने लाना नहीं चाह रहे हैं।इससे इस बात की संभावना भी बढ़ गई है कि पूरे 90 के 90 विधानसभा में नए व युवा चेहरे पर चुनाव लड़ने की तैयारी है और ऐसा कहीं हुआ तो कांग्रेस के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

कांग्रेस के शासन काल में कोयला घोटाले तक तो ठीक था।परंतु जिस तरह से उसके बाद शराब,गोठान से लेकर पीएससी का मामला जनमानस के संज्ञान में आया तो यह उस वर्ग को प्रभावित करते नजर आ रही है जिनको भ्रष्टाचार से कोई लेना देना नहीं था और अब यह समय के साथ एक बड़ा मुद्दा बनते नजर आ रहा है।छत्तीसगढ़ में एक बड़ा वर्ग है जो शराब का सेवन करता है,उसे अब यह लग रहा है कि इसके एवज में उनसे ज्यादा रकम वसूला जाते रहा तभी करोड़ों का भ्रष्टाचार की जांच हो रही है।पीएससी में अंतिम चयन तो 100-150 का हुआ पर आयोग द्वारा परिणाम घोषित करने के बाद जिस तरह के तथ्य सामने आए इसके लिए आवेदन किये उन लाखों उम्मीदवार व उनसे जुड़े लाखों परिवारों के मन में यह बात घर कर गई है कि उनके साथ नाइंसाफी हुआ है और जब इस तरह का वातावरण बनता है तो स्वाभाविक तौर पर सरकार के प्रति नकारात्मक भाव उत्पन्न होता है।

भाजपा में आज की परिस्थिति में प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास की मुखरता जिस तरह से हर दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर सामने आ रही है, उससे उनकी लोकप्रियता शिखर पर है और जब एक व्यक्ति सक्रिय होता है तो उस श्रेणी से जुड़े नेताओं को भी यह प्रेरित करती है कि उन्हें भी सक्रिय होना चाहिए और अब तक निष्क्रिय रही बीजेपी का युवा मोर्चा भी अब चार्ज हो गया है।जिस तरह से मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत ने रोड़ पर उतर कर आंदोलन का रुख अख्तियार किया है,कहीं न कहीं लोगों को अब लग रहा है कि प्रदेश में कोई विपक्षी पार्टी भी है।अब देखना होगा कि बीजेपी के ये युवा चेहरे कांग्रेस की मजबूत नींव को कैसे हिला पाते हैं।बीजेपी के लिए यह भी एक चुनौती होगी कि वह किसानों को कैसे प्रभावित कर पाती है।यह भी देखना होगा कि जो चेहरे आंदोलन के लिए उतारू हैं,वे सीनियर नेताओं के सामने कब तक टिक पाते हैं।क्या इन युवाओं के मुद्दों को दिल्ली में बैठे मोदी-शाह संज्ञान में लेकर अपनी एजेंडा में शामिल करेंगे या फिर कुछ समय के बाद सब शांत हो जाएगा।