रायपुर की तीन विधानसभा के लिए भाजपा के आशु चंद्रवंशी, अमर परवानी और प्रमोद साहू की चर्चा!आखिर क्या है समीकरण?

रायपुर की तीन विधानसभा के लिए भाजपा के आशु चंद्रवंशी, अमर परवानी और प्रमोद साहू की चर्चा!आखिर क्या है समीकरण?

रायपुर(एक्सक्लुसिव)।छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा फिर से एक बार सत्ता में वापसी को लेकर अंदरुनी तौर पर सक्रिय हो गई है।अर्थात बीजेपी के लिए रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के तौर पर काम करने वाली संघ की चुनाव को लेकर इस बार पैनी नजर है।बताया जा रहा है कि इस बार के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार चौकाने वाले चेहरे हो सकते हैं।कमोबेस ठीक उसी तरह जैसे पिछले लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था और भाजपा को इससे अप्रत्याशित जीत भी हासिल हुई थी।वैसे प्रदेश में लगातार 15 वर्षों तक भाजपा सत्ता में रहने की वजह से उनके नेता एक तरह से बेलगाम से हो गए थे।इस वजह से सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की स्थिति थी,यहां तक कि पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को अपने ही कार्यकर्ताओं का कोपभाजन होना पड़ा था और संघ भी एक तरह से साइलेंट मोड पर थी।परंतु इस बार जिस तरह से सर संचालक मोहन भागवत से लेकर तमाम उनके प्रमुखों की रुचि छत्तीसगढ़ की जमी पर देखी जा रही है यह कोई अनायास ही नहीं है बल्कि कुछ हासिल करने की है।

रायपुर की कुल चार विधानसभा में अभी तीन सीट पर कांग्रेस का कब्जा है और एक तरह से चारों सीट शहरी क्षेत्र की गिनती में ही आता है और माना जाता है कि भाजपा शुरू से शहरी क्षेत्रों में मजबूत की स्थिति में रही है।बावजूद पिछले विधानसभा के चुनाव में लगातार 15 वर्षों तक ताकतवर मंत्री के तौर पर काबिज रहे राजेश मूणत जैसे दिग्गज उम्मीदवार को भी हार का सामना करना पड़ा था।परंतु पिछले चार वर्षों में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के बाद से जातिगत समीकरण की नई परिस्थितियों के साथ ही नई चुनौतियाँ भी निर्मित हुई हैं। पिछड़ों और आदिवासियों को मिलने वाला आरक्षण जहाँ हाईकोर्ट के एक आदेश से अधर में लटक गया है,तो राजनीतिक पार्टियां जातिगत समीकरणों के जोड़ तोड़ के हिसाब से चुनाव में उम्मीदवारों को उतारना चाहती हैं।हालांकि भाजपा के दिग्गज बृजमोहन अग्रवाल के लिए यह सब मापांक लागू नहीं होता बल्कि व्यक्ति विशेष के तौर पर उन्हें भाजपा का चेहरा के तौर पर देखा जाता है।जिसका प्रभाव उनके विधानसभा के साथ ही अन्य पर भी देखा जाता है।

राजनीति के सतही तौर पर भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच जो नाम और जनता जिन्हें पसंद कर सकती में एक नाम रायपुर पश्चिम विधानसभा से आशु चंद्रवंशी का लिया जा रहा है। हालांकि यह तब संभव होगा जब पूर्व मंत्री राजेश मूणत की टिकट यहां से कटती है और जो बातें छन कर आ रही है उससे तो तय है कि मूणत को पार्टी इस बार उम्मीदवार नहीं बना रही है।बताया जाता है कि संघ के सर्वे में इस बात पर सहमति बनी है कि इस विधानसभा से किसी कुर्मी या साहू को उम्मीदवार बनाया जाए।ऐसे में आशु चंद्रवंशी का नाम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा के युवा चर्चित चेहरों में सुमार आशु चंद्रवंशी उच्च शिक्षित इंजीनियर हैं और कभी किसी कंपनी में नौकरी किया करते थे।परंतु दो दशक पूर्व आशु चंद्रवंशी ने राजनीति में आने की ठानी तो उन्होंने भाजपा को चुना और इसकी शुरुआत निचले स्तर पर काम कर शुरू की अक्सर देखा जाता है की व्यक्ति राजनीति में आगे बढ़ने के लिए पार्टी के बड़े नेताओं को प्रभावित करने कई आडंबर के साथ अपनी राजनीतिक शुरुआत करता है,परंतु आशु के काम करने का तरीका अलग था।आशु को आरंभिक दिनों से जानने वाले बताते हैं,आज जो उन्होंने मुकाम हासिल की है वह एक बड़े संघर्ष और मेहनत का परिणाम है।शुरुवाती समय में वे पार्टी का पर्ची ले कर छोटे-छोटे ठेला और गुमटियों में जा कर लोगों को सदस्य बनाने दिन रात मेहनत किया करते थे,फिर धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ते गया और गली मोहल्लों में अपनी पैठ जमाना शुरू किया।उनके काम करने का तरीका ठीक संघ के तर्ज पर हुआ करता था।स्वभाव से अत्यंत व्यवहारिक, हँसमुख और मददगार के साथ-साथ प्रखर वक्ता तौर पर आशु का नाम पार्टी के बड़े नेताओं तक पहुंचने लगा और देखते ही देखते लोग उन्हें जानने लगे।पार्टी ने उन्हें मंडल अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर फिर जिला उपाध्यक्ष नियुक्त कर काबिल कार्यकर्ता के तौर पर मुहर लगा दी।इस बीच कहा जाता है मूणत को 2013 के विधानसभा में महज कुछ हजार वोट से जो जीत मिली थी उसका पूरा श्रेय आशू चंद्रवंशी को जाता है।इतना ही नहीं डीडी नगर वार्ड से भाजपा पार्षदों की जीत यदि सुनिश्चित होती है तो उसके पीछे आशु की भूमिका ही अहम होती है।आशु अपने साथी कार्यकर्ताओं को जो महत्व और समय देते हैं आज के समय कोई और नेता नहीं देता।हर कार्यकर्ता के जन्मदिन पर उनके घर में जा कर बधाई देने की परंपरा ने भी उन्हें नायक बना दिया है।कुर्मी और साहू समाज में गहरी पैठ रखने वाले आशु चंद्रवंशी को पार्टी उम्मीदवार बनाती है तो चौकाने वाले परिणाम आ सकते हैं।हालांकि यह विधानसभा अब भाजपा के लिए अभेद्य हो चुका है।

रायपुर का उत्तर विधानसभा जो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। माना जाता है कि इस क्षेत्र में सिन्धी समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है और एक नाम जो भाजपा खेमे से सुनाई दे रही है वह चौकाने वाली है पर आश्चर्य नहीं कि अमर परवानी यहां से इस बार भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं। अमर परवानी वो नाम जो किसी पहचान का मोहताज नहीं। उनके बारे में लोग तारीफ करते नहीं थकते। अत्यंत ही व्यवहारिक,सभ्य,व्यवहार कुशल का होना लोगों के बीच उन्हें और भी लोकप्रिय बनाती है। परवानी छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष बने तभी से इस बात की चर्चा होने लगी थी कि अगला टारगेट विधानसभा होगा। हालांकि वे खुद विधानसभा चुनाव लड़ने के किसी संभावना को लेकर अब तक कोई बात नहीं कि पर उनके समाज और व्यापारी वर्ग का बड़ा समुह चाहता है कि परवानी जैसे व्यक्ति को विधानसभा में पहुंचना जरूरी है।संघ के सर्वे में यह बात आई बताई जा रही है कि उत्तर विधानसभा से अमर परवानी को उम्मीदवार बनाया गया तो भाजपा को यहां से कोई नहीं हरा सकता और उनकी जीत सुनिश्चित है।

रायपुर ग्रामीण विधानसभा एक महत्वपूर्ण विधानसभा है जिसका कई क्षेत्र शहर से लेकर ग्रामीण परिवेश को भी कवर करता है।वर्तमान में यह कांग्रेस के कब्जे में है।इस विधानसभा से भाजपा पहले भी फतह हासिल कर चुकी है।इस विधानसभा में साहू वोटरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता और भाजपा इस बार फिर से एक बार मैदान में साहू उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है और जो नाम सामने आ रहा है वह डाँ.प्रमोद साहू का लिया जा रहा है।प्रमोद साहू राजधानी रायपुर की राजनीति में भी जाना-पहचाना नाम है, वे नगर निगम रायपुर के चार बार से वरिष्ठ पार्षद रहते हुए इस बार लगातार दूसरी बार ज़ोन तीन के अध्यक्ष पद को सुशोभित कर रहे हैं। वे शहर की ख्यातनाम शासकीय मान्यता प्राप्त खेल संस्था प्रगति क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक समिति के विगत कई वर्षों से सचिव भी हैं जो लगातार ख़ेल एवं ख़ेल प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने का कार्य करती है। प्रमोद साहू की राजनीतिक कुशलता है कि वे चुनाव कैसे जितना है जानते हैं। भाजपा इन्हें उमीदवार बनाती है तो जातिगत समीकरण के हिसाब से भी कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।