मौजूदा राजनैतिक हालातों में राज्यपाल के पद को अब समाप्त करने का समय आ गया है - सतपथी

सत्तारूढ़ दल के थके हुए रिटायर्ड सदस्यों को राज्यपाल बनाकर सेवानिवृत्ति का तोहफा दिए जाने की परंपरा अब बन्द होनी चाहिए-ब्रजेश

मौजूदा राजनैतिक हालातों में राज्यपाल के पद को अब समाप्त करने का समय आ गया है - सतपथी

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेता ब्रजेश सतपथी ने आज एक बयान में कहा कि देश में मौजूदा राजनैतिक हालातों में राज्यपालों की जिस तरह की भूमिका दिखाई दे रही है अब वो समय आ गया है कि राज्यपाल के पद को अब समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा हमारे नेता राहुल गांधी शुरूआती समय से केन्द्र की मोदी सरकार को उनके इस तरह के कार्यप्रणाली को लेकर बोलते रहे हैं कि बीजेपी और आरएसएस ने संवैधानिक एवं शैक्षणिक संस्थानों को अपने कब्जे में ले लिया है और अमूमन यही बात छत्तीसगढ़ में भी देखी जा रही है।

ब्रजेश सतपथी ने आज कहा, छत्तीसगढ़ विधान सभा में संशोधित आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मती से विधान सभा में पारित कर विधिवत् राज्यपाल को हस्ताक्षर हेतु भेज दिया था जिसे आज चार माह से भी ज्यादा समय हो चुके। परन्तु तात्कालीन राज्यपाल और वर्तमान भी जिस तरह से इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने परहेज कर रहे हैं।इससे साफ प्रतीत होता है कि राज्यपाल राजनीतिक पक्षपात् और भाजपा नेताओं एवं केन्द्र सरकार के ईशारे पर काम कर रहे हैं। जबकि किसी भी राज्य की सरकार के लिए रोजगार निर्धारित करना,शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश सहित विभिन्न योजनाओं में लाभ लेने वहाँ के नागरिक का आरक्षण निर्धारण के बगैर संभव नहीं है। आज छत्तीसगढ़ में उक्त आरक्षण की आवश्यकता हर एक व्यक्ति को है। बावजूद उनके भविष्य को दरकिनार कर विपक्षी पार्टी को एक तरह से राजनैतिक मुद्दा देने के उद्देश्य से राज्यपालों का इस तरह का आचरण सही प्रतीत नहीं होता।यह बात और है कि संवैधानिक रूप से यह भले ही सही हो,परन्तु लोकतंत्र के इस तरह की स्थिति बेहद ही चिंताजनक है।

ब्रजेश सतपथी ने आगे कहा,मौजूदा समय में राज्यपालों द्वारा अपने अधिकारों का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि जब पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में नये कुलपति की आवश्यकता डेढ़ माह बाद थी ऐसे समय में तात्कालीन राज्यपाल ने अपने स्थानांतरण के बावजूद व्यक्तिगत् रूचि लेकर नये कुलपति की नियुक्ति कर दी और यह तब तात्कालिक राज्यपाल के कार्यकाल में नियुक्त कई कुलपतियों की योग्यता को लेकर उच्च न्यायालय में सवाल खड़े किये जा रहे हैं। इतना ही नहीं पिछले महीनों में राज्यपालों की भूमिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश भी चिंता जाहिर कर चुके हैं कि यदि राज्यपाल के निर्णयों से राज्यों की सरकार गिर जाती है तो लोकतंत्र कमजोर हो सकता है।

ब्रजेश सतपथी ने साफ तौर पर कहा कि देश में मौजूदा राजनैतिक हालात ऐसे बन चुके हैं, की अब वो समय आ गया है जब राज्यपाल का पद समाप्त कर देना चाहिए। यह सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य का ही मसला नहीं है बल्कि तेलंगाना,तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में भी राज्यपालों की भूमिका को लेकर चर्चा हो रही है और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जा रहा है, जहाँ राज्यापालों ने विधेयकों पर हस्ताक्षर करने सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया कि वहाँ विपक्ष की सरकार है। ऐसे में जब सत्तारूढ़ दल के थक चुके रिटायर्ड सदस्य को राज्यपाल बनाकर सेवानिवृत्ति का शानदार तोहफा दिया जाना महज एक औपचारिकता बन गया है। ऐसे में राज्यपाल के पद को समाप्त करने का वक्त आ गया है और एक दिन जब राज्यपाल का पद अब खत्म हो भी जाएगा तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, उनकी जगह राज्यपाल की जिम्मेदारी कार्यपालिका या न्यायाधीशों को सौंप देना चाहिए।