संसदीय सचिव विकास उपाध्याय का फ़ेसबुक की बीजेपी से 'मिलीभगत' के आरोप पर राहुल गांधी के पक्ष में आया बड़ा बयान।
बीजेपी का फेसबुक के साथ हुआ है गुप्त समझौता- विकास उपाध्याय
रायपुर।प्रदेश शासन में संसदीय सचिव व कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम में वर्षों तक काम कर चुके विकास उपाध्याय ने एक प्रमुख अमरीकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने बीजेपी और आरएसएस भारत में फ़ेसबुक और व्हाट्सऐप का नियंत्रण करती है और नफ़रत फैलाती है के आरोप का समर्थन करते हुए एक आरोप यह भी जोड़ दिया है कि नरेंद्र मोदी अपने वेबसाइट और ऐप की कॉन्ट्रिब्यूटर के माध्यम से इसे अंजाम तक पहुंचाते हैं।
संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने आज कहा देश के पूरे विपक्ष में एक मात्र राहुल गांधी ही हैं जिनको देख एक उम्मीद नज़र आती है क्योंकि वो वास्तव में नरेंद्र मोदी का एक विकल्प पेश करते हैं। मोदी की हर नीति को राहुल गांधी ही हैं जो चुनौती देते नज़र आते हैं और इस बात को पूरी भाजपा व खुद मोदी भी भली भांति जानते व समझते हैं, यही वजह है की राहुल गांधी के एक ट्विट का जवाब देने मोदी मंत्रिमंडल का एक न एक मंत्री हमेशा रिजर्व रहता है।
विकास उपाध्याय ने आगे कहा नरेंद्र मोदी डॉट इन नाम से प्रधानमंत्री मोदी की एक व्यक्तिगत वेबसाइट है और एक व्यक्तिगत ऐप भी है - नमो ऐप ।
वेबसाइट पर न्यूज़ सेक्शन के रिफ़्लेक्शंस सेक्शन के कॉन्ट्रिब्यूटर्स कॉलम में, और नमो ऐप पर नमो एक्सक्लूसिव सेक्शन में एक टैब या स्थान पर कई लोगों के लेख प्रकाशित किए जाते हैं। इसमें एक नाम ऐसा भी है जो नरेंद्र मोदी की वेबसाइट और ऐप की कॉन्ट्रिब्यूटर के साथ ही अक्तूबर 2011 से फ़ेसबुक के लिए काम कर रहे, वो भारत में कंपनी की पब्लिक पॉलिसी की प्रमुख भी हैं।
विकास उपाध्याय ने आरोप लगाया कि भाजपा इस व्यक्ति विशेष के जो मोदी के बहुत ही निकटस्थ भी है का सहारा लेकर भारत में फेस बुक को अपने नियंत्रण में लेकर कांग्रेस के खिलाफ खास कर व्यक्तिगत रूप से राहुल गांधी के विरुद्ध काम करती है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि अभी जो विवाद चल रहा है उसके केंद्र में यही मुद्दा है - कि फ़ेसबुक पर भारत में कुछ ऐसी सामग्रियाँ आईं हैं जिन्हें नफ़रत फैलाने वाली सामग्री बताया गया, मगर उस व्यक्ति ने उन्हें हटाने का विरोध किया।
विकास उपाध्याय ने आश्चर्य व्यक्त किया कि दुनिया की सबसे कामयाब और प्रभावशाली ताक़तों में गिनी जानेवाली कंपनी के फ़ेसबुक इंडिया पेज पर और ना ही उसके वेबसाइट पर कंपनी के भारत में काम करने वाले अधिकारियों के बारे में कोई जानकारी नही दी गई है। अर्थात मोदी पूरे लोकतंत्र को अपने बनावटी वश में करने फेसबुक कंपनी से इस स्तर तक समझौता करने कामयाब हो गए हैं। ऐसे में अख़बार वॉल स्ट्रीट जनरल में प्रकाशित खबर लाजमी है जो इसमें दावा किया गया है कि फ़ेसबुक, सत्तारूढ़ बीजेपी से जुड़े नेताओं की हेट स्पीच के मामले में नियमों में ढील बरतता है।