सर्वे:-छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बेदाग छबि और आदिवासी बड़ा चेहरा मोहन मरकाम को हटाया गया तो कांग्रेस को नुकसान ही होना है...
दिल्ली डेस्क। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में मोहन मरकाम पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश की राजनीति के लिए वह चेहरा बन चुके हैं,जिनसे कांग्रेस को सिर्फ फायदा ही हुआ है, नुकसान कुछ भी नहीं। बेदाग छवि के आदिवासी कद्दावर नेता मोहन मरकाम अपने कार्यप्रणाली से करोड़ों कार्यकर्ताओं का दिल ही नहीं जीता बल्कि अपने सौम्य स्वभाव से कांग्रेस के बड़े नेताओं को भी संतुष्ट करने सफल रहे हैं। अध्यक्ष के तौर पर उनके कार्यकाल में मरकाम पर एक भी आरोप नहीं लगे।यहां तक कि ईडी जिस प्रदेश में कोहराम मचा कर रखी है।उसका एक चिंगारी भी मरकाम के इर्दगिर्द नहीं पहुंच सका। शुरू से बेदाग छवि के नेता मोहन मरकाम को कहीं किन्ही कारणों से हटा भी दिया जाता है तो यह राजनीतिक होगी।जिसे कांग्रेस के निचले स्तर के कार्यकर्ता स्वीकार करने कतई तैयार नहीं हैं। इससे कांग्रेस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में किसी तरह का फायदा होने वाला नहीं है बल्कि उनके नेतृत्व में ही पार्टी की जीत सुनिश्चित होगी तय मानी जा रही है।
प्रदेश में आदिवासी बड़ा चेहरा मोहन मरकाम के अध्यक्ष के तौर पर पिछले साढ़े तीन वर्षों के कार्यकाल का यदि मूल्यांकन किया जाए तो उनके नाम सिर्फ उपलब्धियां ही नजर आती हैं उन्होंने पूरी दमदारी के साथ संगठन को चलाया और मजबूती के उस मुकाम तक पहुंचाने की कोशिश की जिसकी जरूरत सत्तारूढ़ पार्टी के संगठन को होना चाहिए उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को ऊपर उठाने का काम किया लगातार 15 वर्षों तक सत्ता से बाहर रहे पार्टी के उन कार्यकर्ताओं की सुध ली जो इस दौरान पार्टी का झंडा लेकर संघर्ष करते रहे। उन्होंने नए लोगों को संगठन के शीर्ष पदों पर मौका देकर एक नई परंपरा की शुरुआत की इस तरह से देखा जाए तो सही मायने में उन्होंने अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में वह करके दिखाया जो बहुत कम लोग कर पाते हैं।
पिछले कुछ दिनों से प्रदेश के बड़े नेताओं का दिल्ली में मौजूदगी उन अटकलों को हवा दे रही है। जिसमें कहा जा रहा है कि ऐन चुनाव के ठीक पहले अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे मोहन मरकाम को हटाया जा सकता है और यह खबर छत्तीसगढ़ के लाखों कार्यकर्ताओं को मायूस कर रही है। इसे लेकर कार्यकर्ताओं से जब चर्चा की गई और उनकी राय ली गई तो सभी की एक राय है कि मौजूदा समय में अध्यक्ष को बदला जाना पार्टी हित के लिए सही नहीं होगा। इसलिए कि मरकाम के नेतृत्व में संगठन के जो कार्यकर्ता लगातार साढ़े 3 वर्षों में पार्टी को जीत दिलाने से लेकर संगठन को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।उन्हें अचानक से किसी और के नेतृत्व में काम करना नया अनुभव होगा और यह स्थिति तालमेल में कमी को प्रदर्शित करेगा जो पार्टी हित के लिए सही नहीं होगा।अब वह समय नहीं कि सिर्फ राजनीतिक कारणों से मरकाम को हटाने की भूल की जाए।
छत्तीसगढ़ पार्टी संगठन के सूत्रों से यह भी पता चला है कि मोहन मरकाम अपने साढ़े 3 साल के कार्यकाल में प्रदेश के कोने-कोने का कई दौर में दौरा कर बैठकें ले चुके हैं और उन्होंने रोड मैप भी तैयार कर लिया है,की कांग्रेस पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में फिर से कैसे जीत हासिल हो सकती है। बताया यह भी जा रहा है कि मरकाम ने लगभग सभी विधानसभा में पार्टी प्रत्याशियों का भी मूल्यांकन कर लिया है की कौन से उम्मीदवार आगामी चुनाव में जीत हासिल कर सकते हैं और कौन हार। ऐसे में किसी नए अध्यक्ष के लिए यह आसान नहीं होगा कि इतने कम समय में प्रदेश के 90 सीटों का सही-सही आकलन कर पार्टी हित में उचित और अनुचित क्या होगा का मूल्यांकन कर सके।
दिल्ली सूत्रों से पता चला है कि मोहन मरकाम को अध्यक्ष पद से हटाए जाने को लेकर प्रदेश के नेताओं के बीच बात तो हो रही है परंतु उनके विकल्प के तौर पर किसे यह जिम्मेदारी दी जाए पर आम सहमति नहीं बन पा रही है। प्रदेश के अधिकांश बड़े नेता मौजूदा समय में मोहन मरकाम को हटाए जाने के पक्षधर नहीं हैं, ऐसे में देखना होगा कि आगामी दिनों में दिल्ली की यह हलचल प्रदेश की राजनीति में किस तरह का परिवर्तन लाती है। बताया यह भी जा रहा है कि इन अटकलों के बीच मोहन मरकाम प्रदेश की राजनीति में और भी मजबूत होकर तो उभरेंगे ही, साथ ही राष्ट्रीय स्तर के संगठन में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है।



Beauro Cheif



