स्मृति इरानी अब खुद राष्ट्रपति की गरिमा के विरुद्ध उन्हें द्रोपदी मुर्मू कह कर बार-बार नाम लिए जाने पर घिरीं

स्मृति इरानी अब खुद राष्ट्रपति की गरिमा के विरुद्ध उन्हें द्रोपदी मुर्मू कह कर बार-बार नाम लिए जाने पर घिरीं

नई दिल्ली।कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले में अब लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को एक चिट्ठी लिखकर मांग की है कि केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी को “बिना शर्त माफ़ी” मांगनी चाहिए।चौधरी का आरोप है कि इरानी ने राष्ट्रपति का नाम चिल्लाते हुए लिया और नाम के पहले “राष्ट्रपति या मैडम” जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया।

राष्ट्रपति को अपमानित करने को लेकर आरोपों से घिरे अधीर रंजन चौधरी ने आज स्मृति इरानी को ही इस मामले में घेर लिया है।अपनी चिट्ठी में बिड़ला ने लिखा है कि उनकी एक गलती के कारण राष्ट्रपति को “ग़ैर ज़रूरी विवाद” में घसीटा गया। उन्होंने कहा, “मैं हिंदी में अच्छा नहीं हूं, इसलिए मुझसे गलती हो गई। मैंने इस पर दुख ज़ाहिर किया है और माननीय राष्ट्रपति से माफ़ी मांगी।” परन्तु जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री ने राष्ट्रपति का नाम लिया, वो बिल्कुल गलत था और राष्ट्रपति की गरिमा के ख़िलाफ़ था।

चौधरी ने कहा, “वो बार बार द्रौपदी मुर्मू कह रही थीं, बिना माननीय राष्ट्रपति या मैडम या श्रीमती का उपयोग किए। ये साफ़तौर पर राष्ट्रपति कार्यालय की गरिमा को गिराना है।” पिछले हफ़्ते 'राष्ट्रपत्नी' शब्द के इस्तेमाल को लेकर चौधरी को बीजेपी ने घेरा था, स्मृति इरानी ने लोकसभा में उनपर राष्ट्रपति के अपमान का आरोप लगाया था। चौधरी ने इसपर राष्ट्रपति से माफ़ी मांगी थी।

इन सब से अलग आप इस पूरे मामले में देखेंगे तो स्पष्ट होता है कि ईरानी कहीं न कहीं अपनी बेटी पर लगे भ्रष्टाचार के मामले के बाद आक्रोश में सोनिया गांधी को व्यक्तिगत रूप से इस मामले में बेवजह जोड़ कर इसे ज्यादा तूल देने कि कोशिश की है।बीजेपी ईडी की पूछताछ को लेकर सोनिया गांधी पर हमलावर है, वहीं कांग्रेस स्मृति इरानी की बेटी को लेकर बीजेपी पर हमलावर है।गोवा में कथित रूप से 'अवैध बार' से जुड़े होने का आरोप कांग्रेस ने स्मृति इरानी की बेटी पर लगाया और शायद इस वजह से सोनिया पर हमलावर हो गईं।

हाल के दिनों में उन पर ऐसा हमला नहीं हुआ है, लेकिन पहले बहुत कुछ हो चुका है। तो शायद स्मृति इरानी ने सोचा होगा पहले जो चुनाव के मैदान में बोलते हैं वो संसद में बोला जाए तो क्या बुरा है।यही वजह रही होगी कि सोनिया गांधी को अपने नेचर के उलट प्रतिक्रिया देनी पड़ी।सोनिया गांधी का जो अंदाज संसद के अंदर नेताओं और कुछ रिपोर्टरों ने देखा, वो उनके चिर परिचित स्वभाव से मेल नहीं खाता। ऐसा सोनिया गांधी को करीब से जानने वाले कई जानकारों का मानना है।सोनिया गांधी हमेशा अनुशासन प्रिय रही हैं।बीते महीनों में सोनिया और राहुल को ईडी के सामने पेश होना पड़ा ये कांग्रेस के लिए बड़ा सेटबैक है। पाँच-सात साल पहले भारत की राजनीति में गांधी परिवार के लिए ऐसा सोचना कल्पना से परे था। अब ऐसा होने के बाद गांधी परिवार पर हमला करने की हिम्मत नेताओं में और बढ़ गई है।