स्टालिन से लेकर ममता तक, चुनाव जिताने वाले शख़्स प्रशांत किशोर क्या 2024 में कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे!

स्टालिन से लेकर ममता तक, चुनाव जिताने वाले शख़्स प्रशांत किशोर क्या 2024 में कांग्रेस की नैया पार लगा पाएंगे!

नई दिल्ली।भारत में आम चुनाव अभी लगभग तीन साल दूर हैं और विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोई ख़ास चुनौती देते नहीं दिख रहे हैं।हाल ही के पांच राज्यों में हुए चुनाव और उसमें से 4 में बीजेपी की धमाकेदार वापसी ने विपक्ष को एक बार फिर से चिंतित किया है।जबकि महंगाई और तेल के बढ़ते दाम चरम पर है।इन सब के बावजूद प्रशांत किशोर कहते हैं कि बीजेपी उतना ताक़तवर राजनीतिक दल नहीं है, जितना उसे माना जाता है। वो कहते हैं, ''किसी राजनीतिक दल के लिए, चाहे वो नया हो या पुराना, अकेले या दूसरे दलों के साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती पेश करने की जगह मौजूद है।'' इस बीच दिल्ली में आज सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ चार घंटे की मैराथन बैठक में प्रशांत किशोर की उपस्थिति ने एक बार फिर से सब का ध्यान खींचा है, तो क्या कांग्रेस का मिशन 2024 को अंजाम तक ले जाने की जिम्मेदारी अब किशोर की होगी।

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी संग मैराथन मीटिंग के दौरान प्रशांत किशोर ने आज 4 घंटों तक चली बैठक में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक विस्तृत प्रस्तुति भी दी है। इस प्रस्तुति में उन्होंने पार्टी के भीतर सुधार के लिए क्या करने की जरूरत है,को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया है।कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को बताया कि 2024 में होने वाले चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर ने एक प्रजेंटेशन सोनिया गांधी और बाकी कांग्रेस नेताओं के सामने पेश किया।उन्होंने बताया कि अब इस प्रज़ेंटेशन की समीक्षा के लिए टीम बनाई जाएगी, जो कुछ समय बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और उसके बाद आख़िरी फैसला लिया जाएगा। ये बैठक ऐसे समय में हुई है जब ऐसे भी कयास लगाए जा रहे थे कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।ऐसा बताया जा रहा है कि पांच राज्यों के नतीजों के बाद कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच बातचीत हो रही है।न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, इस बैठक में राहुल गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और दूसरे नेता शामिल हुए।

कांग्रेस सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल होने के लिए कहा गया है न कि सलाहकार के तौर पर काम करने के लिए। किशोर ने भी कांग्रेस पार्टी में शामिल होने में रुचि दिखाई है। पिछले साल भर की बात करें तो प्रशांत किशोर फिर से सुर्ख़ियों में हैं। उन्होंने इस अंतराल में विपक्ष के मुख्य नेताओं से मुलाक़ात की है, जिनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल रहे हैं। इन मुलाक़ातों के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि प्रशांत किशोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ विपक्ष को एकजुट कर रहे हैं। काफी समय से उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के कयास भी लगाए जाते रहे हैं।

प्रशांत किशोर कहते हैं कि भारत में चुनाव जीतने वाले दल भले ही वो कितने लोकप्रिय ही क्यों ना हो, आमतौर पर 40-45 फ़ीसदी से अधिक वोट हासिल नहीं करते हैं। 2019 चुनावों में बीजेपी ने 38 प्रतिशत वोट हासिल करके 300 से अधिक सीटें जीत ली थीं। वो कहते हैं, ''दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के सात प्रांतों की 200 सीटों में से बीजेपी 40 से अधिक सीटें नहीं जीत सकी है क्योंकि यहाँ क्षेत्रीय दलों ने बीजेपी को मज़बूत नहीं होने दिया है। प्रशांत किशोर का मानना है कि बाक़ी बची 340 सीटें देश के उत्तर और पश्चिमी क्षेत्र में हैं, जहाँ बीजेपी प्रभावशाली है।ऐसे में ''बीजेपी को चुनौती देने वाले दल को यहाँ 150 सीटों का चयन करके बीजेपी की संख्या को कम करना होगा। प्रशांत किशोर पिछले एक दशक से राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं। वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के लिए काम कर चुके हैं। वे अमरिंदर सिंह के लिए भी काम कर चुके हैं और ममता के लिए तो काम कर और भी वे सुर्खियों में आ गए थे। अब देखना है देश में सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाने कहाँ तक सफल हो पाते हैं।