मरकाम बीते इन तीन सालों में छत्तीसगढ़ से दिल्ली तक पूरे कांग्रेस के मोहन कैसे बनते गए...

मरकाम बीते इन तीन सालों में छत्तीसगढ़ से दिल्ली तक पूरे कांग्रेस के मोहन कैसे बनते गए...

नई दिल्ली डेस्क। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर कोंडागांव के लोकप्रिय विधायक और आदिवासी समाज के जिग्गज नेता मोहन मरकाम अपने अध्यक्षीय तीन साल का कार्यकाल पूर्ण कर चुके हैं।इस बीच कांग्रेस शासित देश के अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ में भी जबरदस्त सत्ता संघर्ष का संग्राम मचा,कई मौके ऐसे भी आये की कांग्रेस को कमजोर करने विपक्ष को बोलने बेवजह का मौका मिला, यहां तक कि हाईकमान की भूमिका को लेकर प्रश्न भी होने लगे।परंतु पार्टी अध्यक्ष के नाते मोहन मरकाम उन सारी परिस्थितियों पर एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ की तरह जिस अंदाज में परिचय दिया और अपने सियासी बयानों से सब का ध्यान अपनी ओर  खींचा उनके इस सूझबूझ की तारीफ कांग्रेस के अंदर ही नहीं बल्कि उनके प्रतिद्वंद्वी भी करने लगे।इसके साथ ही विपक्ष को भी उन्होंने निहत्था कर दिया।इन तीन वर्षों के अंतराल में सबसे महत्वपूर्ण बात जो देखी गई वह यह कि मरकाम के अध्यक्ष पद को लेकर कोई चुनौती नहीं मिली और वे प्रदेश में हर कांग्रेस कार्यकर्ता के पहली पसंद बनते चले गए। इतना ही नहीं वे पार्टी हाईकमान के भी पसंद के साथ विश्वासपात्र बन गए।

पिछले दो दिनों से पूरे सोशल मीडिया में जिस भी साइड को आप ओपन करें, फेस बुक से लेकर ट्विटर, व्हाट्सएप सब जगह एक ही चीज दिखाई दे रही है और वह छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर मोहन मरकाम की तीन साल के कार्यकाल पूर्ण होने पर बधाई संदेश के साथ-साथ उनके साथ खिंचवाए तस्वीरों के साथ पोस्ट व उनके कार्यकाल की तारीफ के साथ ही लोग उनसे मुलाकात कर बधाई देने लगे हुए हैं।राजनीति में आज के परिवेश में बहुत कम नेता मिलते हैं जब उन्हें व्यक्ति विशेष के रूप में सार्वजनिक तौर पर पसंद किया जाता है।परंतु मोहन मरकाम उस मुकाम पर पहुंचने उपलब्धि हासिल की है कि कांग्रेस का हर कार्यकर्ता उन्हें दिल से पसंद करता है। मरकाम के सरल, सहज व व्यवहार कुशल छबि ने हर कांग्रेस कार्यकर्ता को उनके करीब लाने मजबूर कर दिया।उनकी सबसे खास बात यह की उनके कार्यप्रणाली में कोई दिखावा नहीं रहता,वे जैसे हैं उसी रूप में ही सार्वजनिक तौर पर दिखाई देते हैं।कोई बनावटी नहीं।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण होने पर जिस तरह से गत वर्ष कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एक भावुक पत्र लिखा था ठीक उसी तरह इस बार भी तीसरी सालगिरह के मौके पर एक संदेश लिख कर अभी तक हुए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्षों को नाम के साथ याद करते हुए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए उनके नेतृत्व, कार्यशैली में कांग्रेस संगठन को तपकर तैयार होने की बात कही है। निश्चित तौर पर मोहन मरकाम को जब यह नेतृत्व मिला प्रदेश में एक परिपक्व संगठन था।परंतु उस परिपक्वता को संभाल कर रखने की एक बड़ी जिम्मेदारी थी और यह तब जब हम सत्ता पर काबिज हैं।बावजूद उन्होंने संगठन की परिपक्वता को बनाये ही नहीं रखा बल्कि कांग्रेस संगठन में कई लाख नए सदस्यों को जोड़ कर एक कीर्तिमान हासिल की।संगठन में काम करने नए युवा चेहरों को पदाधिकारी के तौर पर नई जिम्मेदारी देकर उन्हें मौका देने की पहल की। इससे संगठन में नए ऊर्जा का संचार के साथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में और उत्साह के साथ काम करने सोच जागृत हुआ।

मोहन मरकाम जितने सरल व सहज हैं उतना ही कठोर भी पर यह तब जब लगा कि पार्टी पर किसी तरह की परिस्थिति के चलते कमजोर होने की स्थिति बन रही है और बात उन दिनों की है जब प्रदेश में भी सत्ता संघर्ष को लेकर स्थितियाँ बन गईं थी और बयान बाजी का एक दौर सा शुरू हो गया था,जिसे विपक्ष भी तूल देने कोई कसर नहीं छोड़ रही थी।ऐसे समय में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के दौरे पर पहुंचे मोहन मरकाम ने तब सधा हुआ सियासी बयान देते हुए कहा था।छत्तीसगढ़ जैसा है, वैसा ही है। यह न डोलेगा, न अड़ेगा।पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बयान को लेकर भी प्रदेश अध्यक्ष ने कटाक्ष कर कहा था रमन सिंह दर्शक दीर्घा में ही खड़े रहेंगे और पूरा माहौल शांत हो गया था।ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले पर मरकाम ने कहा था। सीएम आते-जाते रहते हैं, न सिंहदेव के साथ न बघेल के और उनकी यही राजनीतिक परिपक्वता मरकाम को पार्टी हाईकमान के करीब ले गई।