भाजपा में वरुण गाँधी के घटते कद... क्या अपनी बहन प्रियंका के करीब लाने वजह बन पाएगी!

भाजपा में वरुण गाँधी के घटते कद... क्या अपनी बहन प्रियंका के करीब लाने वजह बन पाएगी!

 

ब्रजेश सतपथी ,राजनीतिक विश्लेषक

सार्थक न्यूज़ डेस्क।उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से लोकसभा सांसद और रिश्ते में प्रियंका गांधी के भाई वरुण गाँधी अपनी ही पार्टी की सरकार को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा को लेकर लगातार घेरते दिख रहे हैं,तो क्या उनका यह कदम भाजपा में घटते कद के साथ यूपी चुनाव के पहले कांग्रेस में शामिल हो कर अपनी बहन प्रियंका गांधी को मजबूत करने की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं।यह भी की वरुण गांधी ने रविवार को एक और ट्वीट किया, जिससे पता चलता है कि भाजपा में उनकी भूमिका को लेकर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

वरुण गाँधी ने अपने ट्वीट में लिखा है, "लखीमपुर खीरी की घटना को हिंदू बनाम सिख की लड़ाई में तब्दील करने की कोशिश हो रही है। ये न सिर्फ़ अनैतिक है बल्कि झूठ भी है। ऐसा करना ख़तरनाक है और उन जख़्मों को कुरेदने जैसा है, जिन्हें ठीक होने में पीढ़ियाँ लगीं। हमें तुच्छ राजनीति को राष्ट्रीय एकता के ऊपर नहीं रखना चाहिए।" इस ट्विट के बाद भाजपा के अंदर वरुण गांधी की इस तरह से वक्तव्य को विद्रोही स्वर के रूप में देखा जा रहा है।हालांकि वरुण गाँधी की ये शिकायत योगी सरकार की लचर व्यवस्था से ही है। परन्तु उनके इस तरह के वक्तव्य से केन्द्र में मोदी और यूपी में योगी सरकार दोनों निशाने पर हैं। गौरतलब हो कि लखीमपुर का मामला उजागर होने के साथ ही वरुण गांधी लगातार योगी सरकार की भूमिका को लेकर हमला कर रहे हैं। तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत को लेकर वो लगातार ट्विटर पर सवाल उठा रहे हैं। तब वरुण ने घटना का एक वीडियो भी ट्वीट करते हुए त्वरित कार्रवाई की मांग की थी। इसके पहले भी वे किसानों के आंदोलन को लेकर अपनी सरकार को संवेदनशीलता से हल करने की सलाह दे चुके हैं।

वरुण गाँधी के इस तहत के कदम से राजनैतिक गलियारों में कयास के दौर भी शुरू हो गए हैं।वरुण पार्टी में लंबे समय से हाशिए पर हैं। उनकी माँ मेनका गाँधी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थीं लेकिन दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई। वहीं सात अक्टूबर को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य नामों की लिस्ट जारी हुई तो उसमें ना तो वरुण गांधी का नाम था और ना ही उनकी माँ मेनका गांधी का। बीजेपी के इस फ़ैसले को पार्टी की वरुण गाँधी से नाराज़गी के तौर पर देखा जा रहा है और बताया तो यह भी जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेता चाहते यह हैं कि भाजपा में गांधी परिवार का नाम ही मत रहे अर्थात वरुण के साथ उनकी मां मेनका गांधी भी बीजेपी खुदबखुद छोड़ दें। साल 2004 में वरुण गांधी भाजपा में शामिल हुए थे।तब उन्हें भाजपा की मुख्य रणनीतिकारों लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन का पूरा समर्थन प्राप्त था।

दिवंगत भाजपा नेता प्रमोद महाजन ने तो वरुण और मेनका के भाजपा के साथ आने को बड़ी उपलब्धि बताते हुए दावा किया था कि केवल गांधी ही कांग्रेसी गांधी का मुक़ाबला कर सकते हैं। 2009 के चुनावों में कुछ हद तक पार्टी को चुनावी फ़ायदा हुआ भी और भाजपा वरुण को बढ़ावा देती रही।पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने 'एकजुटता दिखाने के लिए' तब जेल में जाकर उनसे मुलाकात भी की थी। इस बीच उनके भड़काऊ बयान भी चर्चा का विषय बना रहा। बावजूद राजनाथ सिंह उन्हें पार्टी का महासचिव नियुक्त कर अपने तरीक़े से काम करने की पूरी आज़ादी भी दी। पर राजनाथ सिंह के हटने के बाद उनका पार्टी में कद गिरते गया।आज यूपी में जिस तरह की परिस्थिति निर्मित हो रही है ऐसी परिस्थितियों में कहीं गांधी परिवार एक हो गए तो बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।बहरहाल देखना ये है कि क्या गांधी परिवार आपस में सारे गीले शिकवे दूर कर यूपी में अपनी राजनीतिक विरासत स्थापित करने कोई नया इतिहास लिखेगी।