यूक्रेन में मारे गए नवीन का शव परिजन को अब तक नहीं मिला।पढ़ाई में कैसे थे नवीन पढ़िए पूरी खबर...

यूक्रेन में मारे गए नवीन का शव परिजन को अब तक नहीं मिला।पढ़ाई में कैसे थे नवीन पढ़िए पूरी खबर...

जब से तीखे आरोप-प्रत्यारोप के बीच पूरे विश्व में इस बात की चर्चा होने लगी कि अब युध्द का आगाज होने वाला है और देखते ही देखते रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई छिड़ गई तब से नवीन अपने माता-पिता से लगातार फ़ोन पर बातें करते रहता था। नवीन को इस बात की चिंता थी कि उनके माता-पिता उन्हें लेकर परेशान होंगे।वो दिन में तीन से चार बार फ़ोन किया करता था। वो अपने माता पिता को वहां की स्थिति के बारे में बताया करता था।वह उसके बारे में चिंता नहीं करने को कहता था। कहता था कि वो अकेला नहीं है। वो बताता था कि वे सब एक ग्रुप में हैं।पर इन सब बातों का अंत बीते मंगलवार को तब हो गया जब नवीन का आखिरी कॉल के बाद कोई संपर्क न हो सका और उसकी मौत हो जाने की खबर के बीच उसके माता पिता को सूचना मिली।

अपने माता पिता को बेटे नवीन की मौत के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने उस दिन जानकारी दी थी जब भारत में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा था। नवीन खारकीएव मेडिकल यूनिवर्सिटी में चौथे साल की पढ़ाई कर रहा था।नवीन एक छात्र के रूप में कड़ी मेहनत करता था।अपनी पढ़ाई के लिए उनसे ट्यूशन भी नहीं लिए थे। 10वीं में उसे 95% आए थे। प्री-यूनिवर्सिटी में 95% से भी अधिक मिले थे। लेकिन दुर्भाग्य से उसे अपने देश में मेडिकल सीट नहीं मिल सकी।उसके माता पिता कहते हैं, वो एक सीट के लिए दो करोड़ की मांगते हैं।उनका कहना है वे मध्यमवर्गीय लोग हैं। इतने पैसे कहां से लाएंगे। क़रीब छह महीने तक प्राइवेट सेक्टर में बहुत कोशिशें की।सीट नहीं मिल पाने पर उनका बेटा बहुत तनाव में था। उनके गांव में कुछ सीनियर स्टूडेंट भी हैं जो यूक्रेन में पढ़ रहे हैं।उसने उनसे वहां रहने पर आने वाले खर्च और बाकी चीज़ों को लेकर बातें की। उतना खर्च वे उठा सकते थे। ये खर्च यूक्रेन में पांच से छह लाख सालाना था।

इसके साथ ही नवीन को यूक्रेन भेजने के लिए तैयारी हो गई और  पिता ने कर्ज़ ले कर मेडिकल की पढ़ाई के लिए वहाँ दाखिला करा दिया। अब तक वे 30 लाख रुपये खर्च किए हैं।उनका यह भी कहना है यूक्रेन में केवल पढ़ाई का खर्चा सस्ता है, लेकिन वहां रहना और ट्रांसपोर्ट थोड़ा महंगा है। यूक्रेन आने जाने में एक लाख खर्च हो जाता है।यही वजह था कि कोर्स में दाखिले के बाद वो केवल तीन बार भारत आया था।उनके पिता शेखरप्पा यूक्रेन के एजुकेशन सिस्टम की तारीफ़ करते हुए कहते हैं, "वे भारत से बेहतर हैं। पढ़ाई और उपकरण बहुत अच्छे हैं। पता नहीं भारत में वही पढ़ाई इतनी महंगी क्यों है? मध्यम वर्ग के लोग इतने पैसे कैसे दे सकते हैं। मुझे नहीं पता कि भारतीय सिस्टम कहां फेल हुआ, बहुत सारे प्रतिभाशाली भारतीय पढ़ाई के लिए बाहर जा रहे हैं। नवीन की मौत को हुए आज तीन दिन हो चुके पर अभी तक ये भी नहीं पता कि अब तक उसकी बॉडी कहां है।