देश में एक मुख्यमंत्री ऐसा भी जो अपने यहां राष्ट्रीय पार्टियों को पनपने ही नहीं दे रहा है और चर्चा में भी बने रहना पसंद नहीं

देश में एक मुख्यमंत्री ऐसा भी जो अपने यहां राष्ट्रीय पार्टियों को पनपने ही नहीं दे रहा है और चर्चा में भी बने रहना पसंद नहीं

नई दिल्ली। देश के विभिन्न प्रान्तों में समय के साथ क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व बढ़ते जा रहा है,वहीं राष्ट्रीय पार्टियां तो सरकार बनाने कई प्रान्तों में क्षेत्रीय पार्टीयों पर निर्भर हैं।क्षेत्रीय पार्टीयों के बढ़ते जनाधार के चलते ही राज्य स्तर में गठबंधन की राजनीति शुरू हुई और कई बार तो इन गठबंधन से फायदा क्षेत्रीय पार्टीयों को हो गया और राष्ट्रीय पार्टियां पीछे हो गईं।आज देश के कई महत्वपूर्ण प्रदेशों में क्षेत्रीय पार्टीयों के नेता मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। इसमें देश का एक प्रान्त उड़ीसा तो अब ऐसा प्रदेश बन गया है जहां लोग प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी और कांग्रेस को अब वोट देना भी भूलने लगे हैं। ऐसा लगता है वहाँ के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जब तक जीवित हैं,तब तक कोई और उनकी जगह नहीं ले सकता।सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि पटनायक चर्चा में बने रहने की इच्छा भी नहीं रखते।आज जारी हुए ओडिशा पंचायत चुनाव में नवीन पटनायक की जीत इस बात को प्रमाणित कर रहा है कि वे वहां की जनता के लिए राजनीति से भी ऊपर बहुत कुछ मायने रखते हैं।

ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) ने जिला परिषद की उन 829 सीट में से 743 सीट पर जीत हासिल कर ली है। जिनके परिणाम की घोषणा कर दी गई है। राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने मंगलवार को यह जानकारी दी।अभी तक घोषित परिणाम के अनुसार, नवीन पटनायक के बीजद ने जिला परिषद की 87.20 प्रतिशत सीट पर कब्जा कर लिया है।आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला परिषद की कुल 852 सीट में से 829 पर मतगणना पूरी कर ली है,जबकि शेष सीट पर मतगणना जारी है और बहुत जल्द सभी परिणामों की घोषणा कर दिए जाने की संभावना है।बीजद ने 743 सीट जीती हैं, वहीं उसकी प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी (BJP) केवल 42 सीट हासिल करने में सफल रही जबकि कांग्रेस मात्र 37 सीट जीत पाई। निर्दलीय उम्मीदवारों ने तीन सीट पर जीत हासिल की जबकि अन्य को चार सीट मिलीं।

अभी तक के घोषित परिणाम के अनुसार, बीजद ने इससे पहले 2017 में हुए पंचायत चुनाव में अपने प्रदर्शन की तुलना में 267 अधिक सीट जीती हैं जबकि भाजपा ने पिछले चुनाव के मुकाबले 2022 में 255 सीट गंवाई। भगवा दल ने 2017 में 297 सीट जीती थीं और इस बार पार्टी अब तक मात्र 42 सीट ही जीत पाई।कांग्रेस ने 2017 में जिला परिषद की 60 सीट अपने नाम की थीं, लेकिन इस बार वह फिलहाल केवल 37 सीट तक सिमट कर रह गई।निर्दलीय उम्मीदवारों और अन्य ने 2017 में 17 सीट जीतीं थीं, लेकिन इस बार वे सात सीट पर ही जीत हासिल कर पाए।इस शानदार जीत के साथ राज्य में सत्तारूढ़ दल ओडिशा के सभी 30 जिलों में परिषद बनाने के लिए तैयार है। पिछली बार भाजपा ने आठ जिलों में परिषद बनाई थी।

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा 10 जिलों में कोई जिला परिषद सीट नहीं जीत पाई, तो कांग्रेस 18 जिलों में खाता नहीं खोल पाई।भाजपा भद्रक, देवगढ़, जगतसिंहपुर, जाजपुर, झारसुगुड़ा, कोरापुट, मलकानगिरी, मयूरभंज, नबरंगपुर और रायगढ़ जिलों में जिला परिषद की कोई भी सीट नहीं जीत सकी। कांग्रेस अंगुल, बरगढ़, भद्रक, बौद्ध, कटक, देवगढ़, ढेंकनाल, गंजम, जाजपुर, झारसुगुड़ा, केंद्रपाड़ा, क्योंझर, खुर्दा, मयूरभंज, नयागढ़, पुरी, संबलपुर और सुंदरगढ़ में कोई सीट नहीं जीत पाई।ओडिशा में पंचायत चुनाव के लिए पांच चरणों में 16 फरवरी, 18 फरवरी, 20 फरवरी, 22 फरवरी और 24 फरवरी को मतदान हुआ था और मतगणना 26 फरवरी, 27 फरवरी और 28 फरवरी को की गई। आयोग के अधिकारी ने बताया कि कुछ स्थानों पर फिर से मतगणना होने के कारण वहां वोट की गिनती अभी जारी है।