सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से कहा है,राजस्थान में मुख्यमंत्री तुरंत बदला जाए वरना पंजाब जैसा हाल यहाँ भी होगा: सूत्र

सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से कहा है,राजस्थान में मुख्यमंत्री तुरंत बदला जाए वरना पंजाब जैसा हाल यहाँ भी होगा: सूत्र

जयपुर(राजस्थान)। कांग्रेस में प्रशांत किशोर का एपिसोड ठीक से खतम भी नहीं हुआ है और राजस्थान से एक बड़ी खबर आ रही है।कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट ने सोनिया गांधी  से मिल कर स्पष्ट कह दिया है कि वे बगैर बिलंब किये राजस्थान के मुख्यमंत्री को बदल डालें ताकि राज्य के चुनावों में पार्टी की सत्ता वापसी सुनिश्चित हो सके। ये जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। सचिन पायलट ने कथित तौर पर सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी से कहा है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो राजस्थान कांग्रेस भी पंजाब की तरह हार सकती है।गौरतलब हो कि पंजाब में चुनाव के ठीक 6 माह पूर्व आनन-फानन में चरणजीत सिंह चन्नी को नए मुख्यमंत्री बनाये जाने का फार्मुला फेल साबित हुआ है।

सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट पिछले कुछ हफ्तों में तीनों गांधी परिवार के सदस्यों के साथ तीन-तीन बैठकें की हैं। राजस्थान में दिसंबर 2023 में चुनाव होने हैं।पायलट ने आलाकमान को कहा है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री को बदले जाने के काम में देरी हुई तो पंजाब की स्थिति राजस्थान में दोहराई जाएगी, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। बात दें कि इससे पहले सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री थे। लेकिन 2020 में जब उन्होंने पार्टी से बगावत की तो, उन्हें दोनों पदों से हाथ धोना पड़ा।  पिछले दो साल में कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं, ऐसे में इसे अहम माना जा रहा है की पायलट जो बोल रहे हैं,उसे लेकर हाईकमान कितनी गंभीर है। जब राहुल गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों की बात आती है तो अब केवल सचिन पायलट ही बचे हैं। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे नेता भाजपा में शामिल हो गए।

सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि सचिन पायलट ने गांधी परिवार को स्पष्ट कर दिया है कि वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और उससे नीचे कुछ भी उनकी इच्छा नहीं है। जब कांग्रेस ने 2018 का राजस्थान चुनाव जीता था, तब उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था। जबकि राजस्थान में सत्ता की वापसी में उनका चेहरा अहम था।उनकी जगह अनुभवी अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके दो साल बाद वह अपने समर्थक 18 विधायकों को लेकर दिल्ली में ढेरा डाल लिया, हालांकि, उन्हें फिर मना लिया गया। सचिन पायलट की बगावत ने अशोक गहलोत की सरकार को पतन के कगार पर ला दिया।

कहा यह भी जा रहा है कि सचिन पायलट इसलिए भी इस मांग को लेकर अड़ गए हैं, क्योंकि राजस्थान में लगातार किसी भी पार्टी की सरकार दोबारा नहीं बनती और वे इस बात का दावा भी कर रहे हैं कि उनको मुख्यमंत्री बनाया गया तो वे इस मिथक को तोड़ कर साबित कर देंगे।राजस्थान की राजनीति में पायलट का एक अहम स्थान है। बताया तो यह भी जाता है कि गहलोत के साथ जो विधायक हैं वे परिस्थिति वश उनके साथ हैं वरना सचिन पायलट के चेहरे में ही वो बात है जो यहाँ दोबारा सरकार की वापसी करने की हैसियत रखते हैं। अब देखना होगा हाईकमान हाल ही के महीनों में पांच राज्यों में चुनाव हारने के बाद राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कितना हिम्मत जुटा पाती है।