विकास उपाध्याय के 5 साल पूर्व जिलाध्यक्ष रहते की चर्चा आज भी, पर वर्तमान अध्यक्ष का जिक्र तक नहीं! क्या वजह है कि विकास की तारीफ होती है...।

विकास उपाध्याय के 5 साल पूर्व जिलाध्यक्ष रहते की चर्चा आज भी, पर वर्तमान अध्यक्ष का जिक्र तक नहीं! क्या वजह है कि विकास की तारीफ होती है...।

रायपुर(छत्तीसगढ़)।पिछले विधानसभा चुनाव की भांति कांग्रेस पार्टी इस बार प्रदेश में फिर से फतह हासिल करने आक्रामक मुद्रा में है।जबकि माना जा रहा है,इस बार प्रदेश में कांग्रेस बहुत मजबूत स्थिति में है,बावजूद पार्टी के नेता कोई रिस्क लेना नहीं चाहते और इसकी एक शुरुआत पिछले दिनों और हुई रायपुर पश्चिम विधानसभा से जिसे संकल्प शिविर का नाम दिया गया।इस शिविर में प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा से लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद खास तौर पर मौजूद रहे।परंतु इस कार्यक्रम में शिविर से ज्यादा चर्चा उस बात की हो रही है,जो मुख्यमंत्री बघेल ने क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय के लिए कही।इस शिविर में अपने 21 मिनट 20 सेकंड के उद्बोधन में मुख्यमंत्री ने 3 मिनट से भी ज्यादा समय तक विकास उपाध्याय के जिलाध्यक्ष के रूप में काम किये कार्यप्रणाली को लेकर विस्तार से बताया।तब भूपेश बघेल खुद पीसीसी चीफ हुआ करते थे।यह भी गौर करने वाली बात है कि उन्होंने अपने उद्बोधन में वर्तमान शहर जिलाध्यक्ष का एक बार भी जिक्र तक नहीं किया।जबकि जिलाध्यक्ष की भूमिका हर चुनाव में सब की वही होती है।


पश्चिम विधानसभा में स्थित विशाल पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम संकल्प शिविर में आये कांग्रेस कार्यकर्ताओं से खचाखच भरा हुआ था।कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश के साथ उत्साह भी देखी जा रही थी।क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय कभी मंच पर जा कर व्यवस्था देख रहे थे,तो कभी कार्यकर्ताओं को अभिवादन के साथ हाथ हिला कर उनका स्वागत करते।कभी उन्हीं के साथ नीचे कॉरपेट में जा कर बैठ जाते और हंसी मजाक के साथ चर्चा में लग जाते।उनकी यह वही सादगी,सरल व्यवहार ही है जो लोगों को उनके करीब लाती है।इस बीच मंच पर संगीत का कार्यक्रम भी लोगों को मनोरंजन तो करा ही रही थी साथ ही अन्य महत्वपूर्ण मेहमानों के आने के विलंब में सहयोग भी कर रहा था।इतने में कांग्रेस के दिग्गजों का आना शुरू होता है।कांग्रेस के प्रभारी कुमारी शैलजा,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,पीसीसी चीफ बैज से लेकर वो तमाम नेताओं से मंच की कुर्सी भर जाती है,जो इस संकल्प शिविर को सम्बोधित करने वाले थे।

अब मंच से नेताओं का उद्बोधन शुरू होता है।इस दौरान मंच से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल साल 2018 में प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अपने चुनावी अनुभवों का जिक्र करना शुरु करते हैं। तब विकास उपाध्याय रायपुर शहर जिलाध्यक्ष हुआ करते थे।विकास के कार्यप्रणाली को लेकर उन्होंने विस्तार से बात की जो आज कल सोशल मीडिया में खूब प्रचारित भी हो रहा है।अंत में मुख्यमंत्री ने कहा, आज मैं कह सकता हूं कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मैंने जो जिला अध्यक्षों को शिक्षा दी थी। उनमें सबसे बढ़िया जिलाध्यक्ष अगर कोई साबित हुआ तो वो विकास उपाध्याय है।अब सवाल यह उठता है की पांच साल पहले जिलाध्यक्ष के रूप में काम किये उनके कार्यो की तारीफ प्रदेश के मुखिया खुद आज  कर रहे हैं तो इससे बड़ी बात कुछ हो ही नहीं सकती है।जबकि उन्होंने वर्तमान अध्यक्ष का एक बार भी जिक्र नहीं किया।इसका सीधा सा अर्थ यह है कि चाहे सामाजिक क्षेत्र में हो या फिर राजनीतिक अच्छे क्रिया की ही प्रतिक्रिया होती है और मेरा मानना तो यह है कि वह क्रिया ही नहीं जिसकी प्रतिक्रिया न हो।

अब सवाल यह खड़े होता है कि विकास उपाध्याय की तारीफ आखिर हर किसी के जुबान पर क्यों होती है?सबसे पहले तो इसका एक ही जवाब है कि विकास एक सच्चे कांग्रेसी हैं।विपरीत परिस्थितियों में भी वे ईमानदारी के साथ पार्टी के लिए समर्पित रहते हैं।संगठन की बारीकियों को जानते हैं और उन्होंने यह सब संघर्ष कर सीखा व जाना है।जितने कम उम्र में वे राष्ट्रीय व प्रदेश की राजनीति में संगठनात्मक पदों पर रह चुके हैं।प्रदेश के प्रथम पंक्ति के नेताओं को भी यह सौभाग्य नहीं मिला।हालांकि यह सब शौक से नहीं हुआ न ही किसी बड़े नेताओं के एप्रोच से बल्कि उन्होंने इसके लिए त्याग कर धैर्य से काम लिया।ऐसा कौन युवा है जो अपने केरियर  बनाने के उम्र में राजनीति के लिए पूरा समय न्योछावर कर दे।विकास ने घर द्वार त्याग कर पार्टी की सेवा के लिए दिल्ली में सालों समय दिया।तब जरूरी नहीं था कि राजनीति में कभी एक पड़ाव भी आएगा जहां मौका मिल जाय।वह तो भविष्य के गर्त में था, पर उनके धैर्य ने यह भी कर दिखाया।उनके जिलाध्यक्ष रहते किये कार्यों ने कांग्रेस पार्टी को जिंदा बनाये रखा।जब कोई कुछ करना नहीं चाहता था तब विकास ने लव जलाने का काम किया।राजधानी में किये उनके एक आंदोलन की गूंज पूरे प्रदेश में जाति और वह आज भी उनके द्वारा किया जा रहा है।बहुत विरले होते हैं वो जो विकास उपाध्याय के रूप में कभी-कभी पैदा होते हैं।