गहलोत से विकास उपाध्याय के करीबी का संबंध।राष्ट्रीय सचिव बनने पर कहा था, देखना एक दिन बड़ा नेता बनोगे...

गहलोत से विकास उपाध्याय के करीबी का संबंध।राष्ट्रीय सचिव बनने पर कहा था, देखना एक दिन बड़ा नेता बनोगे...

रायपुर(छत्तीसगढ़)।कांग्रेस पार्टी में अशोक गहलोत बड़े कद के नेता हैं। राहुल काल में भी उनका कद कभी कम नहीं हुआ। राजस्थान की राजनीति में उन्हें जादूगर कहा जाता है।इतने बड़े नेता का आज अचानक रायपुर आगमन हुआ तो कई यादें ताजा हो गईं।छत्तीसगढ़ के युवा कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय का गहलोत से पुराने नजदीकी संबंध रहे हैं और आज जब रायपुर एयरपोर्ट पर दोनों की मुलाकात हुई तो वे जिस गर्मजोशी से एक दूसरे से मिले साफ बयां कर रही थी कि गहलोत विकास को कितना पसंद करते हैं।अशोक गहलोत कांग्रेस संगठन की राष्ट्रीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा कर प्रमाणित कर चुके हैं कि वे अन्य से हट कर हैं। विकास उपाध्याय भी तब इसका हिस्सा हुआ करते थे। मुझे याद है जब विकास उपाध्याय को राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया था तो उनका विकास को बधाई देने फोन आया था और काफी समय तक बात हुई थी,तब उन्होंने कहा था।देखना एक दिन तूम बड़े नेता बनोगे। इतने बड़े नेता का इतना बोलना शायद इससे बड़ा आशीर्वाद कुछ नहीं हो सकता था।

गहलोत कांग्रेस में उन थोड़े से नेताओं में शुमार हैं जिन्हें 'पार्टी संगठन' का व्यक्ति कहा जाता है और जो अपने सामाजिक सेवा कार्य के ज़रिए इस ऊँचाई तक पहुंचे हैं। के सी वेणुगोपाल जिस पद पर आज काम कर रहे हैं उस जगह पर अशोक गहलोत पूर्व में ही जिम्मेदारी निभा चुके हैं।वे संगठन महासचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के वक्त कई उल्लेखनीय कार्य किये।गहलोत गुजरात के एआईसीसी प्रभारी भी रह चुके हैं। तब गहलोत ने गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रभारी के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जिसके कारण पिछले चुनाव में कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़कर 77 हो गई जो पहले 60 थी।

कुछ लोगों का मानना है कि अशोक गहलोत पर सबसे पहले स्वयं इंदिरा गांधी की नजर पड़ी थी।जब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में विद्रोह के बाद पूर्वोत्तर में शरणार्थी संकट खड़ा हो गया था। गहलोत की उम्र उस वक्त 20 साल थी, और इंदिरा ने उन्हें राजनीति में आने का न्योता दिया। जिसके बाद गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के इंदौर सम्मेलन में हिस्सा लिया और यहीं उनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई। यह वो समय था जब इंदिरा और संजय गांधी युवा कांग्रेस को दक्षिण पंथी जनसंघ और उसके सहयोगी संगठन से मुकाबले के लिए तैयार करना चाहते थे। जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में यह काल युवा नेतृत्व के उभार का स्वर्णिम काल था। इस दौरान पार्टी को कई अहम नेता मिले जिसमें अशोक गहलोत , कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अंबिका सोनी, वायलार रवि, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद और बीके हरिप्रसाद शामिल हैं। यह सभी नेता आज के कांग्रेस में बड़ी हैसियत रखते हैं।

अपने स्वभाव और साधारण पृष्ठभूमि के अनुरूप अशोक गहलोत राजस्थान में लो प्रोफाइल रहते हुए काम करते रहे। लेकिन संजय गांधी की विमान हादसे में मौत के बाद जब पार्टी में राजीव गांधी को अहम रोल मिला, तब उन्होंने गहलोत के नाम की सिफारिश इंदिरा गांधी की कैबिनेट में राज्यमंत्री के तौर पर की। इस दौरान राजस्थान में कांग्रेस के दो बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी और शिवचरण माथुर का बोलबाला था। लेकिन गहलोत को राजीव गांधी का भरोसा हासिल था।राजीव से गहलोत की नजदीकी ने सोनिया गांधी और उसके बाद राहुल गांधी के युग वाली कांग्रेस में उनकी भूमिका कम नहीं होने दी।