PSC में भ्रष्टाचार के मामले में नई सरकार की लचीले रुख ने युवाओं को निराश किया...बीजेपी के लिए मुश्किल न हो जाये।
रायपुर(छत्तीसगढ़)।प्रदेश में अब नई सरकार का गठन हो गया है।कांग्रेस के पांच साल के कार्यकाल के बाद अब प्रदेश में बीजेपी भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करी है और इसके साथ ही केबिनेट की पहली बैठक भी हो चुकी है,जिस पर पूरे प्रदेश की निगाहें लगी थी कि नई सरकार इसकी शुरुआत किस तरह से करने जा रही है।परंतु इस पहली बैठक में आवास के अलावा और कोई मुद्दे पर सार्थक जिक्र नहीं हुआ।प्रदेश के पढ़े लिखे लाखों युवा इस बात का इंतजार कर रहे थे कि बीजेपी पीएससी में हुए कथित भ्रष्टाचार को लेकर सबसे पहले कोई ठोस निर्णय लेगी।वहीं महिलाओं को लेकर की गई घोषणा महतारी वंदन योजना का लाभ कब से मिलेगा को लेकर भी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ।इससे ये संदेश चला गया कि नई सरकार निर्णय लेने में गंभीर नहीं है और प्रदेश के युवा व महिलाओं को इससे घोर निराशा हुई है।
गौरतलब हो कि प्रदेश में चुनाव के पूर्व सीजी पीएससी की भर्ती पर सवाल उठाते हुए राजधानी रायपुर में भारतीय जनता युवा मोर्चा ने PSC संग्राम नाम का अभियान चलाया था। जिसमें BJYM के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या खुद बीजेपी के हजारों नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ बैरिकेड को तोड़कर सीएम हाउस का घेराव करने रायपुर पहुंचे थे।जहां पार्टी के कई बड़े नेता भी मौजूद थे। तब उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था,सरकार बनी तो वे CBI से इस पूरे भ्रष्टाचार की जांच कराएंगे।इस तरह PSC में भ्रष्टाचार एक बड़ा मामला बन गया।एक के बाद एक तथ्य भी उजागर होने लगे और पूरे छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में यह युवाओं को साधने वाला बड़ा मुद्दा बन गया।इतना ही नहीं प्रधानमंत्री से लेकर सभी भाजपा के बड़े नेता इस मामले को सार्वजनिक मंच पर जोरशोर से उठाते नजर भी आए।इससे ये हुआ कि इस परीक्षा की तैयारी में लगे और जो सम्मिलित हुए थे ऐसे लाखों छात्रों ने बीजेपी की बात को विश्वास में ले लिया।
PSC में भ्रष्टाचार की जांच का असर युवाओं में कैसे हुआ-
राज्य सरकार महत्वपूर्ण पदों में भर्ती को लेकर PSC के माध्यम से नियुक्तियां करती है।इस परीक्षा में कई सालों से तैयारी कर रहे प्रदेश के 10 लाख से भी ज्यादा युवाओं का सीधे तौर पर जुड़ाव रहता है।एक सर्वे में ये माना गया है की इनमें प्रदेश के हर विधानसभा में 8 से 10 हजार युवा हैं जो PSC की तैयारी में जुड़े होते हैं।इसमें विज्ञापित 200 से 250 पदों पर ही युवाओं का चयन हो पाता है,अन्य जो वंचित होते हैं फिर से अपनी तैयारी में लग जाते हैं,पर इस बार एन चुनाव के वक्त जिस तरह की चयन सूची सामने आई सब को अचंभित कर दिया।आयोग के ही अध्यक्ष टोमन सिंह सोनवानी के पूरे परिवार के सदस्यों का चयन हो गया जो स्वाभाविक रूप से सब के लिए अप्रत्याशित था।इस पर उच्च न्यायालय का भी शख्त टिप्पणी आया।बावजूद तत्कालीन सरकार का रुख स्पष्ट नहीं था और वह आयोग के बचाव की मुद्रा में रही।ऐसे में वंचित लाखों युवाओं को लगा ऐसे में उन्हें न्याय नहीं मिल सकता और पूरे के पूरे युवाओं का वोट भाजपा की ओर चला गया।इस उम्मीद में की भाजपा की सरकार बनी तो CBI जांच होगी और पूरा विज्ञापन निरस्त होगा।
सरकार बनने के बाद PSC को लेकर बीजेपी का नरम रुख की वजह-
प्रदेश के युवाओं की मंशा थी कि नई सरकार के शपथग्रहण के साथ ही इस पर बड़ी कार्यवाही का एलान होगा,पर नहीं हुआ।जबकि इस कार्यवाही के लिए ऐसा भी नहीं कि सरकार की आर्थिक वजह कोई रोड़ा अटका रही थी।एक ठोस आदेश की भर जरूरत थी कि इस तरह की कार्यवाही सरकार करने जा रही है।जानकारों का तर्क है कि इसके पीछे की वजह सीधे तौर पर बीजेपी को मिले आरक्षित सीटों से है।तत्कालीन PSC के चेयरमैन सोनवानी उस वर्ग से आते हैं जिनका इस चुनाव में बीजेपी को बड़ा समर्थन मिला और वे मूल रूप से छत्तीसगढ़ से हैं ऐसे में किसी तरह की कार्यवाही भाजपा पर सामाजिक दवाब का कारण बन सकता है।वहीं नए मुख्यमंत्री के आरंभिक कार्य शैली से भी स्पष्ट हो गया है कि वे किसी तरह की कॉन्ट्रोवर्सी में उलझना नहीं चाहते।उनसे ज्यादा आक्रामक तो डिप्टी सीएम विजय शर्मा नजर आ रहे हैं।आम जनमानस के लिए यह समझ से परे है कि इस सरकार ने सबसे पहले जिस आवास बनाने की बात कही है वह तो दीर्घकालिक समय पर पूरी होने की है।जिसे बाद में भी किया जा सकता था।इसलिए कि इसका तात्कालिक लाभ भी अभी लोगों को मिलने वाला नहीं है।