अपने से मिलने आये किसी शख्स को दूर से देख मुस्कुराते हुए जोशिले आवाज में नाम से पुकार कर मिलने वाला नेता अब नही रहा......

अपने बंगले में किसी काम को लेकर मिलने आये ऐसा व्यक्ति जो अपरिचित ही क्यों न हो के लिए बगैर विलम्ब किये किसी कलेक्टर या एस.पी. से बात कर सुलझाने वाला नेता अब हमारे बीच नही रहा।

अपने से मिलने आये किसी शख्स को दूर से देख मुस्कुराते हुए जोशिले आवाज में नाम से पुकार कर मिलने वाला नेता अब नही रहा......

लेखक ब्रजेश सतपथी, (कांग्रेस नेता व विचारक)

हमारे बीच अब वो नेता नही रहा जिसकी शख्सियत ऐसी थी कि जो देश के किसी कोने में किसी भी बड़े हस्ती से चाहे कोई बड़ा नौकरशाह हो, नेता, मंत्री यहाँ तक कि देश का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बात करने वो किसी परिचय के मोहताज नही था। अपने बंगले में किसी काम को लेकर मिलने आये ऐसा व्यक्ति जो अपरिचित ही क्यों न हो के लिए बगैर विलम्ब किये किसी कलेक्टर या एस.पी. से बात कर सुलझाने वाला नेता अब हमारे बीच नही रहा।

क्या लिखूँ उस असाधारण बहुमुखी प्रतिभा के धनी अजीत जोगी के बारे में जो खुद ही एक विचार था।अपने आप में एक किताब रूपी पूरी दुनियाँ को अपने आप मे समाहित कर रखा था। मेरा सौभाग्य रहा कि ऐसे व्यक्ति के करीब आने मुझे मौका मिला। कई बार ऐसा अवसर आया कि शिक्षा से जूझे महत्वपूर्ण मसलों में मेरा उनसे गहराई से चर्चा हुआ करता था। मेरी भी अभिरुचि शिक्षा को लेकर हमेशा से रही है तो कई मौके में मुझे वे मुस्कुराते हुए शिक्षा मंत्री कहकर संबोधित कर दिया करते थे।

अजीत जोगी के बारे में एक बात जो मैंने देखा,उनसे जो भी जुड़े दिल से जुड़ते थे। राजनैतिक पार्टी अपनी जगह थी। वो एकलौते ऐसे नेता थे जो खुद अपने आप में सब कुछ परिपूर्ण थे। लोगों में उन्हें देख वो आत्म बल मिलता था, कि जोगी है तो सब संभव है। 

छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पहले तक प्रदेश की राजनीति में अजीत जोगी का नाम उनके चुनिंदा समर्थकों के बीच तक सीमित जरूर रहा। इसलिए कि वे राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय रह कर कांग्रेस के एक ऐसे नेता के तौर पर अपनी भूमिका में थे कि उनका स्थान दिल्ली में अन्य से हट कर था। कांग्रेस के प्रवक्ता के रूप में पुरानी कोई वीडियो आज भी दिख जाए तो लगता है, बस सुनते रहूँ। धाराप्रवाह हिंदी और इंग्लिश में मधुर मुस्कान और विषय की गंभीरता के अनुरूप उनकी शारिरिक भाषा का ऐसा मिश्रण होता था कि किसी और नेता में दूर दूर तक आ ही नही सकता।

इस बीच छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ और प्रदेश में एक नया राजनीतिक युग का उदय हुआ वर्तमान में जो युवा पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है उसे इसके बाद के घटनाक्रम तो सब याद होगा, पर एक वाकया जो छत्तीसगढ़ गठन के 2 वर्ष पूर्व हुआ था, शायद बहुत कम लोगों को मालूम है कि जनवरी, 1998 में मध्यप्रदेश सरकार के विमान से पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया, मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री सुभाष यादव, राज्यसभा के सदस्य अजीत जोगी और मध्य प्रदेश के तत्कालीन युवा कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह राजपूत दिल्ली से रायपुर जा रहे थे।

सुभाष यादव की मां का निधन हो गया था और विमान उन्हें रायपुर के बाद उनके गृहनगर खरगोन ले जाने वाला था। विमान के उड़ान भरने से पहले माधवराव सिंधिया ने कहा, "हमारे साथ दो भावी मुख्यमंत्री सफर कर रहे हैं।"

सुभाष यादव तो ज़ाहिर तौर पर तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ उस समय मोर्चा खोले हुए थे और ख़ुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। दुख की उस घड़ी में भी सुभाष यादव के चेहरे पर मुस्कान आ गई। लेकिन दूसरा मुख्यमंत्री कौन? माधवराव सिंधिया ने उलझन ताड़ ली और कहा, "ये रहे दूसरे. छत्तीसगढ़ के भावी मुख्यमंत्री"

तब किसी को नहीं पता था कि छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने वाला है। अभी अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से यह घोषणा होनी बाक़ी थी कि 'अगर छत्तीसगढ़ से भाजपा के सभी प्रत्याशी जीते तो छत्तीसगढ़ को अलग राज्य बनाएंगे।'

लेकिन अजीत जोगी को पता था कि राज्य बनेगा और वे पहले मुख्यमंत्री होंगे। जब नवंबर, 2000 में राज्य बना तो ऐसा ही हुआ। वह अजीत जोगी के राजनीतिक उत्कर्ष का चरम था।

लेकिन किसे पता था कि वह अजीत जोगी के राजनीतिक पतन की शुरुआत भी थी। शायद उन्हें भी नहीं।

ऐसी किसी कल्पना की ज़रूरत भी नहीं थी क्योंकि तब तक अजीत जोगी प्रशासनिक अधिकारी और फिर राजनीतिज्ञ के रूप में एक लंबी पारी खेल चुके थे और उसी काबिलियत के अनुरूप जोगी ने नव गठित छत्तीसगढ़ की आधारशिला रखी और उन्हीं के द्वारा तय सब कुछ आज भी चल रहा है।

अजीत जोगी में गजब की दूरदर्शिता थी। उनके द्वारा बनाए गए नियम कायदे की कोई काट नही था। परंतु अपने 3 साल के कार्यकाल में उनसे राजनीति से जुड़े कुछ ऐसे भूल भी हो गए कि फिर कांग्रेस सत्ता में आ न सकी।

बगैर सत्ता के 15 साल तक कांग्रेस में रहते हुए भी उनपर ये आरोप लगता रहा कि रमन सरकार को वे चलाते हैं। इसके बाद कई ऑडियो,वीडियो की घटनाएं हुईं और कांग्रेस हाई कमान ने उनके पुत्र अमित जोगी को कांग्रेस से निष्कासित करने के बाद जब यह स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस में अब सोनिया नही राहुल युग शुरू हो चुका है तो अजीत जोगी ने भी कांग्रेस छोड़ दी और अपनी खुद की पार्टी बना ली और बहुत कम समय में अजीत जोगी ने अपनी पार्टी "जनता कांग्रेस" को उस मुकाम तक पहुंचा दिया कि छत्तीसगढ़ में जिसकी कल्पना भी किसी को नही थी और जीवन के अंतिम समय तक वे व्हीलचेयर में रहते हुए भी छत्तीसगढ़ की राजनीति में धूमकेतु की तरह छाए रहे।

अजीत जोगी में छत्तीसगढ़िया वाद कूट कूट कर भरा रहता था जो उनके सोच के साथ खान पान में भी समाहित था। छत्तीसगढ़ में प्रचलित मुर्रा, चना, चना बूट जैसे चीजों को बड़े चाव के साथ खाते थे उसी में एक गंगा इमली है जिसके सेवन से उसका बीज गले में फंस गया और उसी के चलते उन्हें अटैक आया और इस बार वे मौत को हरा न सके।

मैंने एक अंतरराष्ट्रीय जनरल में प्रकाशित लेख में पढ़ा था विदेशी एक बहुत ही धनवान व्यक्ति जो ठीक जोगी की तरह ही दुर्घटना ग्रस्त हुआ था और व्हीलचेयर में ही आगे की जिंदगी जीने मजबूत था ने अपने जीवनी में रोज अपने घटते उम्र को लेकर महसूस कर लिखा था इस तरह के प्रकरण में घटना के समय से जीने की उम्र 5 से 7 साल तक ही रहती है और 5 वर्ष पूर्ण कर पाता उसके पहले ही उसकी मृत्यु हो गई थी, पर अजीत जोगी ने उसी अवस्था में होते हुए भी 16 साल स्वस्थ जिंदगी जी कर मौत को ही नही बल्कि मेडिकल साइंस को भी चुनौती दे दी। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके सेवा में लगातार तत्पर रहे पीएसओ नर्मदा और उनके साथियों का धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।