भाजपा के लिए भूपेश बघेल का चेहरा शोध का विषय,मोदी काल में भी इस चेहरे की दमक जानने छत्तीसगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों का जमावड़ा

भाजपा के लिए भूपेश बघेल का चेहरा शोध का विषय,मोदी काल में भी इस चेहरे की दमक जानने छत्तीसगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों का जमावड़ा

रायपुर(छत्तीसगढ़)। बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में उतार-चढ़ाव होते रहता है। कोई भी पार्टी हमेशा शिखर पर नहीं रह सकती। या कोई भी अच्छी पार्टी हमेशा नीचे नहीं रही है। पर 2014 के बाद से देश में जो हालात निर्मित हुए और भाजपा आज जिस बुलंदियों पर है,वह मोदी युग के नाम से पहचाना जा रहा है। मोदी के चेहरे पर भाजपा एक के बाद एक राज्य में अपनी पांव पसारते जा रही है। ऐसे में देश भर की तमाम क्षेत्रीय पार्टियां और उनके बड़े नेता जो अपने दम पर कई राज्यों में सरकार चला रही हैं। मोदी को शिकस्त देने एक मंच पर आने की रणनीति पर हैं। इन सब के बीच कांग्रेस जो एक लंबे समय तक भारत का सबसे बड़ा दल रहा उसकी सरकारें मात्र दो राज्य तक सिमट कर रह गई है।इसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का एक चेहरा भाजपा और मोदी को शुरू से खटकते रहा। वह मात्र इसलिए नहीं कि भूपेश बघेल भाजपा या मोदी को लेकर हमलावर रहे हैं।बल्कि इसलिए कि छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने उनके एजेंडा से उलट ऐसा क्या कर दिया है कि भाजपा मुद्दाविहीन के साथ यहां पनप भी नहीं पा रही है और भाजपा के लिए यही शोध का विषय बन गया है। प्रदेश के नेता जब सफल नहीं हो रहे हैं,तो बघेल के इस चेहरे की दमक का राज जानने केंद्रीय मंत्रियों को शोध करने छत्तीसगढ़ आना पड़ रहा है।

बात दिसंबर 2013 की है जब कांग्रेस आलाकमान ने भूपेश बघेल को पार्टी के अध्यक्ष का पद सौंपा था। यह वह समय था जब प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व के अग्रिम पंक्ति के शीर्ष नेता झीरम घाटी में एक नक्सली हमले में मार दिए गए थे और प्रदेश में कांग्रेस गहरी हताशा और निराशा के दौर से गुजर रही थी।इसके पहले अध्यक्ष रहे नंदकुमार पटेल की बनाई टीम के सदस्य इसी समय 2013 के विधानसभा चुनाव में फिर से भाजपा की सत्ता में वापसी से हतोत्साहित थे। कांग्रेस के कार्यकर्ता थक कर घर में बैठ गए थे।आंदोलन करना भूल गए थे,की कांग्रेस को पटरी पर लाना भूपेश बघेल के लिए एक बड़ी चुनौती थी।जिसे उन्होंने स्वीकार कर एक नए पारी की शुरुआत की। बताया जाता है भूपेश बघेल पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद अपने पांच साल के कार्यकाल में इस छोटे से प्रदेश में अपने निजी वाहन से तीन लाख किलोमीटर से भी ज्यादा की दौरा और एक हजार किलोमीटर से भी ज्यादा की विभिन्न मुद्दों को लेकर पदयात्राएं की।

मुख्यमंत्री के तौर पर जब आज हम उनकी लाई योजनाओं की समीक्षा करते हैं तो लगता है।पार्टी अध्यक्ष रहते भूपेश बघेल ने उन दौरों के समय ही यह तय कर लिया था कि सरकार की क्या योजनायें होनी चाहिए।उनकी पदयात्राओं में किसानों से लेकर आदिवासियों के लिए वनाधिकार का मुद्दा से लेकर जल जंगल जमीन के मुद्दे प्रमुखता से वे उठाया करते थे। राशन कार्ड में कटौती का मुद्दा हो या किसानों की धान खरीदी और बोनस का मुद्दा,नसबंदी कांड का विरोध हो या फिर चिटफंड कंपनियों के पीड़ितों के साथ खड़े होने का मामला यह सब कुछ उन्होंने अपने अध्यक्षीय काल में ही कांग्रेस को आंदोलनों के लिए सड़क पर उतार कर तय कर लिया था। उनकी सरकार बनी तो इन मुद्दों पर काम करेगी। यह ठीक उसी तरह था जब एक होनहार विद्यार्थी किसी विषय पर शोध करने टॉपिक से संबंधित साक्ष्य के लिए भ्रमण करता है और जब कार्य पूर्ण हो जाता है तो उसे एवार्ड से नवाजा जाता है। ठीक उसी तरह भूपेश बघेल को भी छत्तीसगढ़ के इस शोध के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी एवार्ड में मिला लगता है।

आज जब देश में इस छोटे से राज्य छत्तीसगढ़ के उन्नति की बात होती है।यहां के किसानों की बात होती है।उन योजनाओं की बात होती है जो अन्य किसी राज्य में नहीं बनी है।अर्थात कॉपी पेस्ट योजना नहीं है तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को सोचना पड़ता है कि इसका काट क्या है।भले ही छत्तीसगढ़ 90 सीट वाला छोटा सा राज्य है पर कांग्रेस की सरकार का यहां मजबूती से काबिज होना और वह भी उपलब्धियों से भरा तो मोदी-शाह को सोचने तो मजबूर करता ही है कि बगैर छत्तीसगढ़ को सम्मिलित किये उनका दिया नारा कांग्रेस मुक्त कैसे सफल होगा। उन्हें यह सोचने भी तो मजबूर कर रहा होगा कि भूपेश की यह कैसी सरकार है जिसकी गलत नीतियों को लेकर भाजपा के नेता मुखर नहीं हो पा रहे हैं। उन्हें यह भी तो लगता होगा देश भर में गौ रक्षा के नाम पर राजनीति करने वाले संघ के नेता छत्तीसगढ़ में चुप क्यों हैं? इसलिए जब स्थानीय भाजपा के नेता जो 15 साल तक सत्ता में काबिज रहे। बावजूद इन सवालों का जवाब ढूंढ नहीं पा रहे हैं तो अगले साल होने वाले चुनाव के पहले खुद मोदी ने अब यह जिम्मेदारी संभाल ली है और अपने केंद्रीय मंत्रियों को एक नहीं दो नहीं कइयों को छत्तीसगढ़ की धरती पर उतार दिया है कि जाइये इस बात का रिसर्च करिए कि भूपेश बघेल के चेहरे की दमक का राज क्या है? पता करिए कि इसका काट क्या है।