प्रियंका गांधी का मिशन यूपी: रायसीना हिल्स के रास्ते जाना है तो लखनऊ से होकर ही जाना होगा।

प्रियंका गांधी का मिशन यूपी: रायसीना हिल्स के रास्ते जाना है तो लखनऊ से होकर ही जाना होगा।

लेखक- ब्रजेश सतपथी
(विचारक एवं कांग्रेस सदस्य)

भारत में 403 विधायकों की सबसे बड़ी विधानसभा और लोकसभा में 80 सांसद भेजने वाला उत्तरप्रदेश में न सिर्फ भारत की कुल जनसंख्या का सातवां हिस्सा यहाँ रहता है बल्कि यह एक स्वतंत्र देश होता तो 23 करोड़ आबादी के इस प्रान्त की गिनती विश्व के छठवें नंबर में होती। चीन, भारत, अमेरिका, इंडोनेशिया और ब्राज़ील के बाद दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं जहाँ 20 करोड़ की आबादी हो। यह भी महत्वपूर्ण है कि 1989 तक जिस-जिस दल ने उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक सीटें जीती, उसने केंद्र में सरकार बनाई। नरसिम्हा राव एक मात्र अपवाद कहे जा सकते हैं, जो 80 सीट में से मात्र 5 सीट जीत कर भी 1991 में देश के प्रधानमंत्री बने और पूरे पांच साल का कार्यकाल पूर्ण किया। इन्हीं सब वजहों से यूपी के लिए पुरानी राजनीतिक कहावत है “रायसीना हिल्स का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है।“ तो क्या प्रियंका गांधी ने अब ये ठान ली है कि रायसीना हिल्स के रास्ते जाना है तो लखनऊ से होकर ही जाना होगा।

यूपी चुनाव के चंद महीनों पहले सक्रीय हुईं भारतीय राजनीति में प्रियंका गांधी का चेहरा इस कदर सब के दिलो दिमाग में छा गया है की ऐसा उदाहरण और कहीं नहीं मिल सकता। इस थोड़े से अंतराल में प्रियंका गांधी ने शायद उतना कुछ कर दिखाया है जितना वह अब तक के अपने पूरे राजनीतिक करियर में नहीं कर पायी थीं। यह बात भी सही है कि ऐसे बहुत कम ही मौक़े रहें हैं जब प्रियंका गांधी कांग्रेस की ओर से लड़ती भिड़ती दिखी हैं और यही उनकी सक्रियता भाजपा के लिए आज एक बड़ी चुनौती बन गई है। चुनौती किस बात की यह जानने के पहले आइये यूपी में हो रहे चुनाव के कुछ महीने पहले की घटनाक्रम पर नजर डालें जब प्रियंका गांधी ने देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में घुसने के पहले वहां की सरकार और प्रशासन के अनुभव को क्या महसूस किया और उस अनुभव को आधार बना कर पहले उत्तर प्रदेश की समस्याओं को दूर करने की कोशिश करनी चाही। आपको याद होगा इसी चुनावी वर्ष में जब लखीमपुर मामले में उन्होंने सड़क पर उतरने का फ़ैसला किया और उसके बाद एक-एक कर सभी ज्वलंत मुद्दों को अपने गिरफ्त में ले लिया कि सत्तारूढ़ पार्टी व पूरा विपक्ष मुह ताकते रह गया। मुद्दे भी ऐसे मिले की मीडिया भी इसे कवरेज करने दूर न भाग सकी और प्रियंका गांधी को पूरे यूपी में स्थापित कर दिया।

कांग्रेस पार्टी को यूपी की सत्ता से दूर हुए 33 वर्ष हो गए। इस बीच किसी कांग्रेस नेता में वो करिश्माई चेहरा नजर नहीं आया कि कांग्रेस की खोई हुई जनाधार को वापस ला सके। यह पहला मौक़ा है जब प्रियंका के अंदर जो अंदरूनी लीडरशिप की क्वॉलिटी है, वो जागी और बाहर दिखी है। यूपी के अंदर लगातार घटित हुई लखीमपुर खीरी हिंसा हो या फिर किसानों के आंदोलन का मुद्दा पूरे समय प्रियंका गांधी के इर्द गिर्द नजर आया। तब और बात होती जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के पास मजबूत संगठन होता और जिस मुहिम में प्रियंका गांधी निकल पड़ी हैं उसका स्वरूप कुछ और होता। बावजूद इसका फायदा ये हुआ कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान आ गई और वे फिर से एक बार पुनर्जीवित हो गए। प्रियंका गांधी खुद भी इस बात को भली भांति जानती हैं कि यूपी की सत्ता उनसे काफी दूर है पर उन्होंने इस बार के चुनाव में जो साहसिक व चतुराई से निर्णय लिया कि यह चुनाव वे पूरे प्रदेश में अपने बलबूते से लड़ेंगी सौ फीसदी सही व दूरगामी साबित हुआ है। इस निर्णय से पूरे यूपी में कांग्रेस पार्टी फिर से एक बार सांस लेने लगी है। कल तक जिस पार्टी को शून्य नजर आता था आज वह लगभग सभी विधानसभा में अपने प्रत्याशी के साथ चुनावी मैदान में है।

प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के इस चुनाव में वो कर दिखाया है जिसमें वह हार भी गई तो यह जीत के तौर पर भविष्य के गर्त में छुपा होगा। आज पूरे यूपी में कांग्रेस पार्टी का एकमात्र चेहरा प्रियंका गांधी है जो अकेले लड़कर उन पार्टी के नेताओं को घर में बैठने मजबूर कर दिया है जो कैडर की पार्टी है। परन्तु जब लगा कि प्रियंका यूपी में आंधी की तरह आगे बढ़ रही है तो पूरे विपक्ष सहित क्षत्रीय पार्टीयों को एकजूट होना पड़ गया। प्रियंका गांधी इस बात को भलीभांति जानती हैं कि केन्द्र में यदि सत्ता हासिल करना है तो हिन्दी बैल्ट के सबसे बड़े राज्य 23 करोड़ आबादी वाले यूपी के लोगों के समक्ष अपनी विश्वसनियता साबित करनी होगी और जब शुरूआत यहाँ से होगी तो वो दिन दूर नहीं जब देश के करोड़ लोगों का विश्वास जीता जा सकेगा। प्रियंका गांधी को इस बात का एहसास है उनके नेता राहुल गांधी को यदि दिल्ली में स्थापित करना है और भाजपा को उखाड़ फेंकना है तो रायसीना हिल्स के रास्ते जाने के लिए यूपी के लखनऊ से होकर ही जाना होगा।