डॉ. चरणदास महंत की अपील ने क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए मोहब्बत की दुकान खोल दी है?

डॉ. चरणदास महंत की अपील ने क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए मोहब्बत की दुकान खोल दी है?

रायपुर(छत्तीसगढ़)।समकालीन नेताओं की बात करें तो प्रदेश से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में दिवंगत अजीत जोगी के बाद यदि किसी नेता की चर्चा होती है तो डॉ. चरणदास महंत ही हैं जो कांग्रेस की राजनीति में बाहरी व अंदरूनी पकड़ रखने की हैसियत रखते हैं।उच्च शिक्षित राजनेता के साथ-साथ दूर की सोच रखने वाले डॉ. महंत की किसी मामले में उनकी बेबाक बोल लोगों को आकर्षित करती है।इसके पीछे की वजह भी है कि वे अपने 68 वर्ष की उम्र में वह सब कुछ हासिल कर चुके हैं कि उनके सामने छत्तीसगढ़ का कोई नेता नहीं टिकता।राजनीति के वर्तमान हालातों से भी भला वे कैसे अनभिज्ञ हो सकते हैं और उन्हें यह बात कहीं न कहीं से कचोट रही थी कि सत्ता में वापसी करनी है तो चुनाव के पहले छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेताओं में एकजुटता सबसे पहली जरूरत है और जब वे बिलासपुर के संभागीय सम्मेलन में पहुचे थे तो कह डाली बीजेपी के लिए नहीं कांग्रेस के लिए मोहब्बत की दुकान खोलने की जरूरत है और इसका असर भी देखिए अब सब को दिखने लगा है।

कांग्रेस के दिग्गज डॉ चरणदास महंत छत्तीसगढ़ के  एक मात्र राजनेता हैं जो अपने जीवन काल में सांसद, विधायक के साथ ही संगठन में प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी और अध्यक्ष की जिम्मेदारी में रह कर अपनी शानदार पारी खेली है।उनके राजनीतिक सफर की बात करें तो वह बेहद ही शानदार रहा है।अविभाजित मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य में कृषि,वाणिज्य कर विभाग के साथ ही गृह जैसे महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री रहे,केन्द्र में राज्यमंत्री और अब छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर निर्विवाद रूप से अपनी भूमिका में हैं।संसदीय ज्ञान कहें, प्रशासनिक पकड़ या फिर अनुशासन की बात करें तो उनका कोई शान ही नहीं।उनके राजनीतिक जीवन में कहीं नहीं लगता कि उनकी बहुत ज्यादा किसी चीज को लेकर महत्वाकांक्षा रही हो।एमएससी, एमए, एलएलबी और पीएचडी कर चुके डॉ महंत की गिनती सबसे पढ़े लिखे नेताओं में होती है,पिता बिसाहूदास महंत कांग्रेस सरकार में विधायक और मंत्री भी रहे।

साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस पार्टी ने प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया था और उन्होंने इस भूमिका को बखूबी निभाया और यही उनकी सक्रियता के चलते वे मुख्यमंत्री की दौड़ में भी शामिल थे।सबसे लंबी राजनीतिक पारी खेलने वाले डॉ महंत का नाम छत्तीसगढ़ गठन के समय भी मुख्यमंत्री के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा था।दूसरा नाम विद्याचरण शुक्ल का था।इसके अलावा किसी और नाम की चर्चा उस समय नहीं थी पर बाजी अजीत जोगी मार गए जैसे 18 साल बाद भूपेश बघेल बाजी मार गए। बावजूद डॉ महंत की राजनीति में आप कभी नहीं पाएंगे कि उन्हें पार्टी से किसी तरह का गिला शिकवा रहा हो।बल्कि उनकी सोच हमेशा से यही रही कि पार्टी के लोग एकजुट रहें और विपक्ष का मुकाबला सामुहिक नेतृत्व से करें।

डॉ महंत की बेबाक बोल की चर्चा हमेशा होते रही है।पिछले दिनों बिलासपुर में कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में पहुंच कर डॉ चरणदास महंत ने कांग्रेस की गुटबाजी पर जब खुलकर बात की तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में लोग सिंहदेव गुट और बघेल गुट की बात करते हैं। इससे पार्टी में थोड़ा-बहुत दुराव है, उसे मोहब्बत की दुकान के माध्यम से ठीक करने की जरूरत है और देखिए इसका असर की जब अम्बिकापुर में सम्मेलन हुआ तो पार्टी के अंदर मोहब्बत की बातें सार्वजनिक तौर पर सामने आने लगी।जिसकी चर्चा उस दिन से रोज हो रही है।राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी होने की वजह से उन्होंने तब दिवंगत जोगी को लेकर भी जिस तरह की बात की पूरे क्षेत्र में प्रशंसा हुई। उन्होंने कहा था जोगी कांग्रेस और बसपा के मिलन से कांग्रेस को नुकसान हुआ है, इससे वे सहमत हैं, लेकिन, जोगी कांग्रेस की वजह से कांग्रेस की सरकार बनी, यह बात उन्होंने नहीं कही। यह बयान दे कर उन्होंने जहां जोगी कांग्रेस के लोगों को भी अपने पक्ष में कर लिया तो जोगी को एक तरह से सम्मान भी दिया।