मोदी पर व्यक्तिगत हमले करना राजनैतिक पार्टीयों को भारी पड़ रहा है, केजरीवाल 2019 से मोदी का नाम लेना छोड़ दिए

मोदी पर व्यक्तिगत हमले करना राजनैतिक पार्टीयों को भारी पड़ रहा है, केजरीवाल  2019 से मोदी का नाम लेना छोड़ दिए

नई दिल्ली। देश में हुए 5 राज्यों के चुनाव परिणामों ने देश में भविष्य की राजनीति को लेकर कई संदेश दे दिए हैं। इस चुनाव में जहाँ मोदी की लोकप्रियता बरकरार बनी हुई है वहीं केजरीवाल जैसे नेता की सोची-समझी रणनीति उन्हें राजनीति के शिखर पर पहुँचा दिया है। इन चुनाव परिणामों से यह भी स्पष्ट हो गया है कि योगी जिस 80-20 की बात कर रहे थे इसमें 80 वो समुदाय हैं जो मोदी को आधुनिक युग का भगवान मानती है। दूसरा महत्वपूर्ण बात यह है कि मोदी लोगों के बीच आज भी उतना ही लोकप्रिय हैं जितना कि पहले ।लोग बीजेपी से नाखुश हो सकते हैं,पर इनकी सोच मोदी अच्छा कर रहे हैं की है और यही सत्य है। वजह भी यह रही कि जिस भी नेता ने मोदी को लेकर व्यक्तिगत आलोचना की, वह पार्टी पनप न सकी। इस बात को केजरीवाल बहुत पहले ही समझ गए थे। यही वजह थी कि 2019 से ही उन्होंने मोदी का नाम लेना छोड़ दिया।

भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को पूर्व से ही इस बात का स्पष्ट फिडबैक था कि वह चुनाव हुए 5 राज्यों में से 4 राज्यों में सरकार बनाने जा रही है और आज चुनाव परिणाम के बाद जिस तरह की स्थिति निर्मित हुई है, ठीक इसके अनुरूप है। पंजाब को छोड़ शेष 4 राज्यों में बीजेपी की सरकार बन रही है। आज के चुनाव परिणाम में आप पार्टी का पंजाब में जिस तरह से सुनामी दिख रही है, केजरीवाल को राजनीति के उस शिखर पर पहुँचा दिया है जहाँ इतने कम समय में कोई भी राजनेता आज तक पहुँच न सका। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जो समझ में आ रहा है केजरीवाल की खुद की सुझ-बूझ से लिया गया वह निर्णय है जिसमें उन्होंने देश की जनता की मनः स्थिति को समझते हुए प्रधानमंत्री मोदी का व्यक्तिगत रूप से आलोचना करना छोड़ दिया और 23 मई 2019 के बाद मात्र 2 बार ही उन्होंने मोदी शब्द का उपयोग किया।

अरविंद केजरीवाल कभी मोदी को 'बेशर्म तानाशाह', 'कायर', 'मनोरोगी' और 'दिल्ली के लिए खतरनाक' बताया करते थे और मोदी का नाम लेते हुए निशाना साधने शायद ही कोई मौक़ा छोड़ते थे।परंतु तीव्र बुद्धि के केजरीवाल को जब यह समझ आने लगा कि वे ऐसा कर अपना और अपने पार्टी का नुकसान करने जा रहे हैं,तो तय कर लिया कि वे अब मोदी को लेकर कोई व्यक्तिगत हमले नहीं करेंगे।इतना ही नहीं 23 मई, 2019 को आम चुनाव के नतीजों की घोषणा हुई और बीजेपी को ज़बर्दस्त जीत मिली तब से अरविंद केजरीवाल ने मोदी शब्द का इस्तेमाल करना लगभग छोड़ ही दिया। यहाँ तक कि बीजेपी के ख़िलाफ़ हमला बोलने और केंद्र सरकार के फ़ैसलों की आलोचना में भी केजरीवाल अब मोदी का नाम नहीं लेते। 2019 में केजरीवाल ने अपने ट्वीट में मोदी का नाम 27 बार लिखा। लेकिन इनमें से 26 बार 23 मई के पहले का है।2020 में अरविंद ने एक बार मोदी शब्द का इस्तेमाल किया। 2021 में केजरीवाल ने मोदी का एक बार भी नाम नहीं लिया और 2022 में भी वे इसी रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं।

हिन्दी में किए गए ट्वीट्स में भी वे 2019 में 53 बार मोदी का नाम लिए, लेकिन ये सारे ट्वीट्स 23 मई, 2019 के पहले के थे। 2020 में एक बार और 2021 में एक बार भी केजरीवाल ने मोदी का नाम लिखते हुए कोई ट्वीट नहीं किया। 2022 में अरविंद केजरीवाल ने एक बार नाम लिया, लेकिन तब वह हमला पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पर कर रहे थे न कि मोदी पर।यहां तक कि दिल्ली जब कोविड की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से जूझ रही थी तब भी केजरीवाल ने मोदी या प्रधानमंत्री शब्द के इस्तेमाल से परहेज़ किया। तब केंद्र सरकार कह कर ज़िम्मेदार ठहराया। इसी तरह तीन विवादित कृषि क़ानूनों के खिलाफ जंतर-मंतर, दिल्ली विधानसभा के अलावा सिंघु बॉर्डर पर भाषण दिए, लेकिन मोदी या प्रधानमंत्री शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।