सोनिया गांधी ने मोदी द्वारा मनरेगा को लेकर उड़ाए मजाक पर आज तंज कसते हुए इस योजना के तारीफ में पुल बांधे

सोनिया गांधी ने मोदी द्वारा मनरेगा को लेकर उड़ाए मजाक पर आज तंज कसते हुए इस योजना के तारीफ में पुल बांधे

नई दिल्ली।पीएम मोदी ने कहा था, यूपीए की विफलता का स्मारक है मनरेगा। इसका जवाब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज लोकसभा में मनरेगा स्कीम को लेकर सरकार पर हमला बोला। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर उनका नाम लिए बिना ही तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग इस स्कीम की आलोचना करते थे। कुछ साल पहले इस स्कीम का मजाक बनाया गया था, लेकिन कोरोना काल में इसके चलते करोड़ों गरीबों को समय पर मदद मिल पाई। उन्होंने कहा, 'मनरेगा स्कीम का कई लोगों ने कुछ साल पहले मजाक उड़ाया था। लेकिन इसके कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगा तो करोड़ों गरीबों को समय पर मदद पहुंचाने का काम किया। इसने सरकार को बचाने में सकारात्मक भूमिका अदा की।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था।मनरेगा आपकी विफलताओं का जीता-जागता स्मारक है। आजादी के 60 साल के बाद भी यह स्थिति है तो इससे पता चलता है कि कांग्रेस ने गरीबी को खत्म करने के लिए किस तरह से काम किया था। आप लोगों से गड्ढे खुदवाते हैं और फिर उसके बदले में उन्हें पैसे देते हैं। मैं इस स्कीम को बंद नहीं करने वाला हूं, गाजे-बाजे के साथ इसे जारी रखूंगा। इसी बात को आज याद दिलाते हुए सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर बिना नाम लिए ही तंज कसा। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले कई लोग इसकी आलोचना करते थे, लेकिन इसने कोरोना में करोड़ों गरीब लोगों की मदद की।

इतना ही नहीं सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम के बजट आवंटन में कटौती पर भी सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा, 'मैं केंद्र सरकार से मांग करती हूं कि मनरेगा स्कीम के लिए बजट का आवंटन किया जाए। काम के 15 दिनों के भीतर मजदूरों के खातों में इसकी पेमेंट पहुंच जानी चाहिए। यदि किसी भी तरह की देरी होती है तो फिर उन्हें इसकी क्षतिपूर्ति करननी चाहिए।' सोनिया गांधी ने मनरेगा स्कीम में भ्रष्टाचार की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों से कहा जाना चाहिए कि उनके सालाना प्लान तब तक अप्रूव नहीं होंगे, जब तक कि वे सोशल ऑडिट नहीं कराते हैं।

सोनिया गांधी ने आगे कहा, मनरेगा स्कीम के कामों के ऑडिट के लिए लोकपाल की नियुक्ति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस स्कीम का सोशल ऑडिट होना चाहिए, लेकिन पेमेंट रोककर गरीब मजदूरों को सजा नहीं दी जानी चाहिए। यूपीए सरकार की इस स्कीम की पीएम नरेंद्र मोदी ने शुरुआती दौर में आलोचना की थी। हालांकि इसके बाद यह स्कीम लगातार जारी रही और कोरोना काल में लोगों को इससे तत्काल रोजगार गांवों में मिल सका था। खासतौर पर यूपी और बिहार में इस स्कीम ने कोरोना काल में गरीबों की मदद करने का काम किया था।