विधायक विकास उपाध्याय की खूबसूरती में छिपा है,उनके सफलता का राज।जानिए इसके पीछे का मनोवैज्ञानिक कारण...
रायपुर(छत्तीसगढ़)।मनोविज्ञान में खूबसूरती के फायदे और नुकसान को लेकर काफी दिलचस्पी देखी गई है। इस दिलचस्पी का केंद्र एक ही सवाल है क्या खूबसूरती के चलते हमेशा फायदा होता है या कभी नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसे यदि राजनीति से जोड़ कर देखेंगे तो आपने कई समाचारों में पढ़ा होगा खूबसूरत महिला पॉलिटिशियन के बारे में जो राजनीति में अपना पूरा दमखम रखतीं हैं।पर इस श्रेणी में पुरूष नेताओं का जिक्र उनके खूबसूरत चेहरे को लेकर बहुत कम होता है। जबकि इस मामले में पुरूष राजनेताओं का भी उतना है महत्व है।सतही तौर पर देखें तो ख़ूबसूरती आपके इर्द-गिर्द एक आभामंडल बना देती है। ऐसा ही एक युवा चेहरा जो छत्तीसगढ़ की राजनीति में पिछले डेढ़ दशक से लोगों को याद है विकास उपाध्याय का जिन्हें देखने से लोगों का अवचेतन मन यह मान लेता है कि यह शख़्स दूसरे मायनों में भी शानदार होगा। इनके जीवन में आगे बढ़ने का एक वजह भी यही लगता है।
मनोचिकित्सकों की राय में, जो खूबसूरत है वो अच्छा है, केवल अनुमान भर हो सकता है।इसलिए कि हर खूबसूरत चेहरा जरूरी नहीं कि अच्छा हो।इसमें अपवाद स्वरूप कई चेहरे ऐसे भी हैं जो खूबसूरत तो होते हैं पर लोगों पर प्रभाव नहीं छोड़ पाते।इसलिए कि खूबसूरत दिखने के साथ ही उस व्यक्ति में खूबसूरत गुण भी होना जरूरी है।शिक्षा के क्षेत्र में, वॉकर और फ्रेवर्ट जैसे विशेषज्ञों ने पाया है अच्छे रंग रूप वाले छात्रों को स्कूल और यूनिवर्सिटी में शिक्षक ज़्यादा बुद्धिमान मानते हैं और उन्हें बेहतर ग्रेड भी दे देते हैं।
कार्यक्षेत्र में, आपका सुंदर रंग रूप काफी फायदा पहुंचाता है।ज़्यादा आकर्षक लोग, सामान्य लोगों की तुलना में कहीं ज़्यादा पैसे कमाते हैं और कॉरपोरेट जगत में कहीं तेजी से सीढ़ियां चढ़ते हैं। अदालतों में भी प्रसन्न चेहरा अपना प्रभाव छोड़ता है. आकर्षक अभियुक्त को कम सजा मिलती है या कई बार सजा नहीं भी मिलती और इसके उदाहरण भी हैं।
आकर्षक पुरुष को बेहतर टीम लीडर माना जाता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हम सब के बीच युवा नेता व विधायक विकास उपाध्याय एक जीवंत उदाहरण हैं। उनके सुंदर चेहरा का जिक्र गाहे बगाहे होते ही रहती है।विकास उपाध्याय में खूबसूरती के साथ-साथ दूसरे मायनों में भी उनके गुण शानदार हैं। वे कभी गुस्सा नहीं होते। गुस्सा हो भी गए तो चेहरे से लगता नहीं कि वे गुस्से में हैं।इसलिए बताया जाता है कि वे कई बार गुस्से का प्रयोग खास कर फोन पर करते हैं ताकि सामने वाला समझ जाए कि वे गुस्से में हैं और इसमें भी एक बात है ज्यादा समय तक फोन में भी वे गुस्सा को बनाये रख नहीं पाते इसलिए गुस्से में कम समय तक ही फोन में बात करें तो ही अच्छा है।कभी किसी कार्यक्रम में विलंब से पहुंचें तो उनके सुंदर चेहरे से मद मोहक मुस्कान लोगों के सारे थकान दूर कर देती है और लोग भूल जाते हैं कि नेताजी विलंब हो गए। एक बात और जो देखी जाती है,आकर्षक लोगों को दूसरों की ईर्ष्या का सामना भी करना होता है। परंतु विकास उपाध्याय ने किसी को यह मौका दिया ही नहीं यही उनकी खूबसूरती है।
इसके साथ ही सुंदर चेहरे का कुछ नुकसान भी है।विकास उपाध्याय के ख़ूबसूरत और आकर्षक होने का इससे भी खतरनाक बात ये है चिकित्सीय देखभाल इन्हें कम मिलती है। यानी अगर आप ख़ूबसूरत हैं और बीमार हो गए हैं तो डॉक्टर और नर्स भी आपकी बीमारी को ज़्यादा गंभीरता से नहीं लेंगे।खूबसूरत लोगों के बारे में माना जाता है कि वे ज़्यादा पावरफ़ुल होते हैं, इसका नुक़सान ये है कि लोग उन्हें खुद से दूर पाते हैं और दूरी बरतते हैं। हालांकि विकास उपाध्याय में जबरदस्त सामंजस्य रखने की कला है। वे न अपनी विधायकी का रौब दिखाते हैं न ही अपने स्मार्ट होने का गुरुर। यह भी की आपके व्यक्तित्व में आपकी ख़ूबसूरती का कोई योगदान नहीं होता। जैसा कि लेखक दोरोथी पारकर ने ख़ूबसूरती से कहा, "सुंदरता केवल त्वचा तक गहरी होती है, जबकि बदसूरती हड्डियों तक पहुंचती है।" पर विकास उपाध्याय ने तो अपने अनगिनत गुणों से उन सारे कही गई बातों को झुठला दिया है और यही है असली खूबसूरती।