पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने गोबर वाले मामले में विरोध करने वालों को आज ट्वीट कर कहा- मेरे लिखे लफ्ज़ ही बस पढ़ पाया वो, मुझे पढ़ पाए इतनी उसकी तालीम ही नहीं थी..

पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने गोबर वाले मामले में विरोध करने वालों को आज ट्वीट कर कहा- मेरे लिखे लफ्ज़ ही बस पढ़ पाया वो, मुझे पढ़ पाए इतनी उसकी तालीम ही नहीं थी..

रायपुर। कल गोबर को लेकर पूर्व मंत्री व भाजपा के कद्दावर नेता अजय चंद्राकर द्वारा गोबर को राजकीय प्रतीक चिन्ह बनाये जाने का सुझाव का मामला यहीं नही रुका। उन्होंने आज अपने ट्विटर पर लगातार 2-2 ट्वीट कर इस बात के संकेत दिए हैं, कि वे यहीं नही रुकने वाले।

अजय चंद्राकर ने आज पहला ट्वीट कर ये कहा कि 

मत उलझो हमसे,

हमसे लड़ना मुश्किल होगा,

वरना लिखेंगे ऐसा इतिहास,

कि पढ़ना भी मुश्किल होगा।

इसके ठीक एक घंटे बाद उन्होंने दूसरा ट्वीट कर कहा 

मेरे लिखे लफ्ज़ ही बस पढ़ पाया वो,

मुझे पढ़ पाए इतनी उसकी तालीम ही नहीं थी..

कल गोबर को राष्ट्रीय प्रतीक बनाये जाने की सुझाव के बाद कांग्रेस नेताओं में तिखी प्रतिक्रिया आने के बाद अजय चंद्राकर विचलित नही हुए न ही इस सुझाव को वापस लेना जरूरी समझा बल्कि उन्होंने एक वीडियो संदेश के जरिये अपनी बात को और भी प्रमाणित करने की कोशिश की और भूपेश सरकार पर तंज कसते हुए ये कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार ने नाम बदलने की परंपरा भी डाल दी है, चूंकि एक नई सोच की सरकार आई है जो गोबर पर आधारित है तो उन्होंने गोबर को प्रतीक चिन्ह बनाये जाने का सुझाव दिया है न कि राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का अपमान किया है। साथ ही आज किये अपने ट्वीट में उन्होंने ये बताना चाहा है कि विरोध करने वाले उनकी लिखी बात का ही अर्थ निकाल सके,जितनी उनकी योग्यता थी।पर उनमें इतनी योग्यता कहाँ जो अजय चंद्राकर को समझ पाएं। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री की दौड़ से कुछ ही कदम पीछे रह गए टी एस सिंहदेव को उन्होंने वजीर कह कर उनके दुखते जख्म पर हाथ रख ये एहसास दिला दिया कि वे अब सिर्फ मंत्री ही रह गए।