मोहन मरकाम: छात्र नेता से छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ और अब केबिनेट मंत्री। हाईकमान के पसंद कैसे बनते चले गए...

मोहन मरकाम: छात्र नेता से छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ और अब केबिनेट मंत्री। हाईकमान के पसंद कैसे बनते चले गए...

रायपुर(छत्तीसगढ़)।मोहन मरकाम छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में अब केबिनेट मंत्री हो गए हैं।संगठन के बाद सत्ता में उनकी उपस्थिति नए गेटअप में देखने मिला।आज जब वे राजभवन में मंत्री पद की सपथ ले रहे थे तो शूट बूट में बेहद ही स्मार्ट लग रहे थे।छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मरकाम की जगह दीपक बैज की नियुक्ति के बाद कोंडागांव से विधायक मोहन मरकाम को मंत्री बनाया गया है। मरकाम शुक्रवार, 14 जुलाई को राजभवन में एक समारोह में केबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ले ली है।ऐसा पहली बार देखा जा रहा है जब पार्टी हाईकमान राज्य स्तरीय किसी नेता को इस कदर तबज्जो दे रही है। महत्वपूर्ण पद से भारमुक्त करने के साथ ही साथ दूसरे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति आज तक किसी की नहीं हुई।मरकाम पीसीसी चीफ रहते संगठनात्मक गतिविधियों को शिखर तक पहुंचाया और वे एक कामयाब नेता साबित हुए।प्रदेश में दिनबदिन बढ़ती उनकी लोकप्रियता ने जहां विरोधियों को चिंता में डाल दिया है,वहीं पार्टी हाईकमान से नजदीकियां लगातार बढ़ते चली गई और वे दिल्ली के भी पसंद बन गए।

महज 12 वर्ष की उम्र में कांग्रेस की सदस्यता लेकर छात्र नेता के रुप में राजनीति शुरु करने वाले मोहन मरकाम दूसरी बार विधायक बने,तो कोई सोच न था कि बस्तर क्षेत्र का कोई साधारण परिवार में जन्मे पलेबड़े व्यक्ति एक दिन इस ऊंचाई तक पहुंचेगा।प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के संगठन की जिम्मेदारी सौंप कर अध्यक्ष बनाया और वो चार साल से भी ज्यादा समय तक प्रदेश अध्यक्ष रहे।इस बीच उनकी कार्यप्रणाली का सकारात्मक स्वरूप पक्ष-विपक्ष दोनों में चर्चा का विषय रहा।

मरकाम अपने अध्यक्षीय काल में दमदारी के साथ निर्णय लेने के लिए जाने जाते रहे,खास कर कांग्रेस के उन कार्यकर्ताओं पर उनका फोकस रहा जो संघर्ष के दिनों पार्टी के साथ रहे। संगठन में पुराने चेहरे की बजाय नए चेहरों पर दांव लगा कर नया प्रयोग मरकाम ने ही शुरू किया और वे सफल रहे।इतना ही नहीं उन्हें अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का एक ऐसा बड़ा ज़मीनी नेता माना जाने लगा है जिसकी प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ है।इसका इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नवनियुक्त अध्यक्ष से ज्यादा उनके केबिनेट में शामिल होने को लेकर चर्चा हो रही है।

राजनीति को करीब से देखने वाले पहली बार ऐसा होते देख रहे हैं,जब किसी नेता को एक पद से भारमुक्त करने के साथ-साथ दूसरी बड़ी जिम्मेदारी भी दी जा रही है और यह महत्वपूर्ण तब और हो जाता है जब किसी बड़े कद के कैबिनेट मंत्री से इस्तीफा करवा कर जगह दी जा रही हो। बताया जाता है कि पीसीसी अध्यक्ष पद पर दीपक बैज की नियुक्ति से पहले ही कांग्रेस आलाकमान ने मरकाम को विश्वास में ले लिया था कि उन्हें दूसरी जिम्मेदारी दी जाएगी और जब बुधवार को मंत्री टेकाम ने इस्तीफा दे दिया तो मरकाम को मंत्री बनाने की चर्चा शुरू हो गई और उनके सरकारी बंगले में देर रात तक कार्यकर्ताओं की भीड़ लगी रही।

इसके पीछे की वजह भी यह माना जा रहा है कि मरकाम के 4 साल से भी  ज्यादा के अध्यक्षीय कार्यकाल को पार्टी ने पूरी तरह से सफल मान कर मुहर लगा दी है। इसलिए चंद घंटों के भीतर ही उन्हें मंत्री बनाने की विधिवत घोषणा भी कर दी और 48 घंटे के भीतर वे मंत्रीपद की शपथ लेकर सत्ता पक्ष का हिस्सा बन गए हैं।