विधायक विकास उपाध्याय का भाजपा के धरना को लेकर तंज इन्हें उस मण्डली का हिस्सा बताया जो अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरते हैं

भाजपा नेताओं के बार-बार चिल्लाने व धरना देने से कोई सांस्कारिक नहीं बन सकता - विकास उपाध्याय

विधायक विकास उपाध्याय का भाजपा के धरना को लेकर तंज इन्हें उस मण्डली का हिस्सा बताया जो अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरते हैं

रायपुर। संसदीय सचिव एवं विधायक विकास उपाध्याय का आज बड़ा बयान आया है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के आज कांग्रेस सरकार के खिलाफ आयोजित धरना को सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि एक अमर्यादित भाजपा के पूर्व मंत्री की गिरती छवि को चमकाने एक मंच पर एकत्र हुए उस मण्डली की संज्ञा दे दी जो ‘‘अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरते हैं’’। विकास उपाध्याय ने कहा, यह दुर्भाग्य है कि छत्तीसगढ़ की पूरी भाजपा उस नेता के पीछे भाग रही है जिसके अमर्यादित, अपशब्द, संस्कारहीन आचरण को पूरी जनता ने सुना ही नहीं बल्कि देखा भी, यह ऐसा है भाजपा के लिए ‘‘विनाश काले विपरित बुद्धि’’।

विधायक विकास उपाध्याय ने भाजपा नेताओं के सरकार के विरूद्ध धरना और बयानबाजी पर तंज कसते हुए कहा कि आखिर पन्द्रह साल तक मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह, कद्दावर मंत्री रहे बृजमोहन अग्रवाल किसके समर्थन में एकत्र हो रहे हैं। क्या उन्होंने पूर्व मंत्री के उस विडियो को अपने आँखों से देखा नहीं? जो किस तरह से सार्वजनिक तौर पर अपशब्दों का उपयोग कर रहे थे। क्या यह भाजपा की संस्कृति है? जो ऐसे अमर्यादित व्यक्ति के छवि को निखारने पूरी भाजपा लगी है। विकास उपाध्याय ने कहा, क्या वाकई भाजपा की अब यह संस्कृति रह गई है? जो खुले आम वह व्यक्ति ऐसी भाषा का उपयोग कर रहा है जिसे जनता ने लगातार पन्द्रह वर्षों तक अपना प्रतिनिधि बनाए रखा।

विकास उपाध्याय यहीं नहीं रूके और कहा, पूर्व मंत्री डॉ. रमन सिंह जनहित से जुड़े मुद्दे को लेकर थाने में जाते, धरने में बैठते तो निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ की जनता उन्हें सम्मान करती। कई बार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल जिन्हें सांस्कारिक नेता के रूप में यहाँ की जनता देखती थी, वो भी अपने आप को रोक ना सके और उस मण्डली में शामिल हो गए जहाँ एक अपराधी को महिमामंडित करने धरना दिया जा रहा था। आखिर भाजपा छत्तीसगढ़ की जनता को क्या संदेश देना चाहती है? क्या वह ऐसा कर उस व्यक्ति के गलत चरित्र को चमकाने की कोशिश कर रही है जिसे जनता ने नकार दिया है। दुर्भाग्य है भारतीय जनता पार्टी के नेता इस तरह के आंदोलन कर अपना ही नहीं बल्कि खुद के पार्टी को भी कलंकित करने तुले हुए हैं।