विवि में एबीवीपी का आंदोलन प्रतिनियुक्ति में कुलसचिव की चाह रखने वाले कुछ शिक्षकों के इशारे पर...!
रायपुर(छत्तीसगढ़)।पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। जहां से कई छात्र पढ़कर निकले और प्रदेश एवं देश की राजनीति में अपना नाम रोशन तो किए ही इसके साथ ही विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में शीर्ष पद पर जगह बना कर विश्वविद्यालय का नाम रौशन किया। बावजूद यह विश्वविद्यालय कई विसंगतियों से भी जूझते रहा है।कई दशकों तक खास कर कुलसचिव के पद पर सहायक प्राध्यापकों को प्रतिनियुक्ति में पदस्त कर इस पवित्र शैक्षणिक संस्थान का राजनीतिकरण किया गया।पिछले कुछ वर्षों में पहली बार पहल कर शासन स्तर में पीएससी के माध्यम से कुलसचिव की सीधी भर्ती हुई और उसी के तहत ही वर्तमान कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल बखूबी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।इस बीच बगैर कोई मुद्दा के भाजपा के एक संगठन का आंदोलन वह भी कहा जाए अपने ही सरकार के खिलाफ। सबको आश्चर्यचकित कर रहा है।दरअसल बताया जा रहा है कि कुछ शिक्षक जो महाविद्यालयों में पदस्त हैं और जिन्हें अध्यापन कार्य से कोई लेना देना नहीं है वे प्रतिनियुक्ति में यहां आना चाह रहे हैं और उन्हीं के इशारे पर ही इस पूरे मूमेंट को अंजाम दिया जा रहा है।जबकि वर्तमान कुलसचिव की कार्यप्रणाली अभी तक के कुलसचिवों में सबसे उत्कृष्ट रहा है।
विवि के कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल जब से इस पद पर आसीन हुए हैं।कई ऐसे महत्वपूर्ण कार्य में ऐतिहासिक सुधार ला कर उस प्रशासनिक कार्यक्षमता को धार दी है,जो अब तक नहीं हो पा रहा था।मूल्यांकन व्यवस्था में कसावट, समय पर परिणाम घोषित करना यहां तक कि जिन विषयों में उन्हें इस बात की शिकायत मिली कि स्थानीय स्तर पर मूल्यांकन सही न होने की वजह से विद्यार्थियों को नुकसान हो रहा है उन विषयों के कापियों को अन्यत्र मूल्यांकन करा कर परिणाम घोषित करा दी जिसकी भनक तक किसी को नहीं हुई। जब कोई सामान्य छात्र उनसे मिल कर इस बात की शिकायत किया कि उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है,व्यक्तिगत तौर पर उसे समय सीमा में सुलझाने का प्रयास किया।पढ़ने लिखने में रुचि रखने वाला एक भी ऐसा छात्र नहीं जो कुलसचिव पटेल की कार्यप्रणाली से नाखुश हो,पर अब फिर से एक बार विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल दूषित करने का प्रयास हो रहा है।
बताया जा रहा है कि एबीवीपी के जो सदस्य कुलसचिव के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं,उनके पास भी कोई वजह नहीं कि कुलसचिव को क्यों हटाने की मांग हो रही है या किस छात्र विरोधी निर्णय को लेकर वे खिलाफ में हैं।बल्कि कुछ छात्र तो हाईकोर्ट में शासन द्वारा प्रस्तुत उस सपथ पत्र की कापी को लहराते हुए दिखाई दिए जो कुलसचिव के पद पर शैलेन्द्र पटेल की नियुक्ति का न्यायालय में मामला लंबित है।अब सवाल ये उठता है कि कोर्ट में जिस गोपनीय दस्तावेज को शासन प्रस्तुत कर रही है वह इन छात्रों के पास कैसे पहुंची।विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे कुछ ऐसे महाविद्यालयीन शिक्षक हैं जो किसी भी तरह से प्रतिनियुक्ति पर कुलसचिव के पद पर आना चाहते हैं।इनमें एक नाम तो प्रमुखता से लिया जा रहा है वह पहले भी प्रतिनियुक्ति पर कुलसचिव रह चुका है और उसके संबंध दोनों पार्टियों से है।हालांकि तब आर्थिक मामलों में विवाद में आने के बाद उन्हें हटा दिया गया था।
कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल की कार्यप्रणाली को लेकर एक प्राध्यापक ने कहा कि ये विवि में पहले कुलसचिव हैं,जो फाइलों में चर्चा करें या विचाराधीन जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करते,जो भी निर्णय लेना है तत्काल लेने में विश्वास रखते हैं।पहले कुलसचिव हैं जो पत्रकार, छात्र और उनके पालकों से मिलने इंतजार नहीं कराते।कर्मचारियों के बीच काम करवाने की कसावट की बात हो या उनके हित की शैलेन्द्र पटेल दमदारी से निर्णय लेते हैं।उन्होंने कहा,विश्विद्यालय की मर्यादा और शैक्षणिक माहौल को बनाये रखने शासन को आंदोलनकारियों के खिलाफ उचित निर्णय लेना चाहिए।