प्रमोद दुबे के एक अभियान ने जहाँ आम जनता को राहत पहुँचाई वहीं सरकार के काम को भी आसान कर दिया...

प्रमोद दुबे के एक अभियान ने जहाँ आम जनता को राहत पहुँचाई वहीं सरकार के काम को भी आसान कर दिया...

रायपुर(छत्तीसगढ़)। कांग्रेस की राजनीति में लम्बे समय से लगातार सक्रिय रह कर हर चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे के बारे में लोगों की आम धारणा है कि वे राजनीति को पैसे से नहीं बल्कि दिमाग से करते हैं।हाल ही के दिनों उनके द्वारा बूढ़ातालाब में कई वर्षों से निर्धारित धरना स्थल को अन्यत्र स्थानांतरित किये जाने चरणबद्ध आंदोलन को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। वैसे तो काफी दिनों से सरकार की भी मंशा रही है कि आये दिन शहर के बीचों बीच धरना प्रदर्शन और भीड़भाड़ से आम लोगों की मानसिकता भी सरकार के प्रति नकारात्मक हो रही है।वहीं आये दिन इस तरह की गतिविधियों से लोगों को परेशानी भी।बावजूद विपक्ष के विरोध व अन्य कारणों से प्रशासन इस मामले में विधिवत निर्णय नहीं ले पा रही थी।जबकि सरकार ने पूर्व से ही तय कर रखा था कि धरना स्थल को कहाँ स्थानांतरित करना है।परंतु कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे के इस अभियान ने जहां सरकार के काम को आसान कर दिया और प्रशासन को आदेश जारी करना पड़ा वहीं आम जनता भी खुश कि अब रोज-रोज के जाम से उन्हें हमेशा के लिए निजात मिल गई है।

आये दिन की तरह 15 जनवरी को भी बूढ़ातालाब धरना स्थल में प्रदर्शन चल रहा था।तभी कांग्रेस नेता व निगम के सभापति प्रमोद दुबे  एक ट्वीट कर लिखा कि "बूढा तालाब तरफ से मत जाना धरना चल रहा है। जाओगे तो फंस जाओगे। जनहित में जारी" और उनके इस ट्वीट के बाद ही सैकड़ों की संख्या में लोगों के रिप्लाई  आना शुरू हो गया।जिसमें कइयों ने इस जानकारी के लिए उन्हें धन्यवाद दिया तो कइयों ने सरकार को लेकर असहज टिप्पणी भी की।शायद प्रमोद दुबे भी इन जवाबों को देखे पढ़े होंगे पर किसी ने सोचा न होगा कि वे इस जरिए इस विवाद को ही हमेशा के लिए यहां से दूर ले जाना चाहते हैं और उसके बाद प्रमोद दुबे का अभियान ही शुरू हो गया कि धरना स्थल को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए।

प्रमोद दुबे के इस अभियान की जो खास बात रही वे एक तरह से क्रमबद्ध तरीके से रोज सरकार के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे।बावजूद इस बार विपक्ष की मौन स्वीकृति साथ नजर आ रही थी।इसलिए कि मुद्दा जनहित से जुड़ा था।प्रमोद दुबे अपने बयानों में इस बात को बता भी रहे थे कि किसी भी स्थिति में इसे राजनीति से जोड़कर न देखा जाए। यह सामाजिक तथा जनता से जुड़ा हुआ जन आंदोलन है जिसे आम जनता के साथ हजारों की संख्या में छात्र-छात्राओं, उस क्षेत्र में रहने वाले सैकड़ों नौकरी पेशा एवं छोटे बड़े व्यापारी, महिलाओं से लेकर जनप्रतिनिधियो का समर्थन  है। उन्होंने यह भी बताया कि उनसे विभिन्न राजनीतिक दल एवं सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों सहित उक्त क्षेत्र के अंतर्गत 9 वार्ड के एक लाख जनता ने अपील की है कि उनकी परेशानियों को मजाक ना बनाया जाए।बल्कि धरना स्थल को हटाने में सहयोग करें।

अंततः प्रशासन के अधिकृत आदेश के बाद अब उक्त स्थान में किसी तरह का धरना प्रदर्शन प्रतिबंधित रहेगा।लोगों को अब इस मुख्य राह से गुजरने अब कोई परेशानी नहीं होगी।अब सवाल उठता है कि इस मुद्दे के बाद खास कर नेतृत्व कर्ता प्रमोद दुबे को हासिल क्या हुआ? और वह यह कि प्रमोद दुबे इस अभियान के जरिए आम जनता के और करीब आ गए हैं।लोगों में वे विश्वास पैदा करने सफल हुए हैं की वे उनके रोजमर्रा की परेशानियों को लेकर गंभीर रहते हैं।लोगों को वे यह संदेश देने सफल साबित हुए हैं कि जनहित से जुड़े मुद्दे को वे एक रणनीति के तहत हल करना जानते हैं।खास कर यह स्थल दक्षिण विधानसभा के अंतर्गत है,तो एक तरह से वे यह साबित करने भी सफल हुए हैं कि उनके नेतृत्व में उनका विधानसभा सुरक्षित रहेगा और उन्होंने इस अभियान के जरिए जहां व्यापारियों,आम लोगों ,युवाओं को अपने साथ जोड़ने सफल हुए हैं वहीं विपक्ष को किनारे लगाने में भी सफल हुए हैं।