सिद्धारमैया पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इसलिए इस बार ये ज़िम्मेदारी नए चेहरे को दी जानी चाहिए- डीके शिवकुमार

सिद्धारमैया पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इसलिए इस बार ये ज़िम्मेदारी नए चेहरे को दी जानी चाहिए- डीके शिवकुमार

नई दिल्ली डेस्क।मंगलवार को कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाक़ात की और सीएम पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की।इसके बाद पार्टी को ये फ़ैसला आज बुधवार तक के लिए टालना पड़ा।कांग्रेस ने पहले ही तय कर लिया है कि 18 मई याने कल नए मुख्यमंत्री का शपथग्रहण होगा।इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री और इस बार के लिए भी रेस में आगे चल रहे सिद्धारमैया भी दिल्ली में ही डटे हुए हैं।आज किसी भी सूरत में नए मुख्यमंत्री का ऐलान होना है।

कांग्रेस सूत्रों से बताया जा रहा है कि शिवकुमार को सीएम के तौर पर तीन साल के कार्यकाल की पेशकश की है, बशर्ते वो पहले दो साल के लिए सिद्धरमैया को सीएम बनने दें, लेकिन उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया है। शिवकुमार का कहना है कि सिद्धारमैया पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं, इसलिए इस बार ये ज़िम्मेदारी नए चेहरे को दी जानी चाहिए, क्योंकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की है इसलिए उन्हें सीएम बनाया जाना चाहिए।इस बीच शिवकुमार आज बुधवार को पार्टी की प्रमुख रहीं सोनिया गांधी से मुलाक़ात कर सकते हैं।

सूत्रों के हवाले से ये भी खबर आ रही है कि खड़गे के साथ करीब आधे घंटे चली मुलाक़ात के बाद शिवकुमार ने उप-मुख्यमंत्री बनने या सीएम पद साझा करने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया है।इसके पीछे की वजह भी साफ बताई जा रही है कि राजनीति में इस तरह की संभावना अब नहीं रह गई है।एक बार कोई कुर्सी में बैठ जाये तो उसे दूसरे को हासील करना कितना कठिन है। दूसरे राज्यों के अनुभवों को देखते हुए इस कारण शिवकुमार अड़ गए हैं कि जो होना है अभी होना है,बाद में कुछ नहीं होता और उन्होंने ख़ुद को सीएम पद का स्वाभाविक हक़दार बताया है और कहा है कि सीएम न बना तो सामान्य विधायक ही रहूंगा।

कांग्रेस मध्य प्रदेश या राजस्थान में हुई घटना दोहराना नहीं चाहती, इसलिए अगले चुनावों को ध्यान में रख कर फ़ैसला करना चाहती है। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बग़ावत के बाद वहां कांग्रेस सरकार गिर गई थी, तो वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी आज भी अख़बारों की सुर्ख़ियों में रहती है।साल भर में लोकसभा चुनाव होने हैं और पार्टी दोनों में से किसी को भी नाराज करने का जोख़िम नहीं उठा सकती, इसलिए वो दोनों को ख़ुश करने के फ़ॉर्मूले पर विचार कर रही है।