अनोखी परंपरा: मथुरा के इस गांव में एक दूसरे को जूता-चप्पल मार कर खेली जाती है होली

अनोखी परंपरा: मथुरा के इस गांव में एक दूसरे को जूता-चप्पल मार कर खेली जाती है होली

मथुरा(उत्तरप्रदेश)।मथुरा में गोवर्धन तहसील के गांव बछगांव में सैकड़ों वर्षो से जूता-चप्पल मारकर होली मनाने की परंपरा है। इस होली में कोई भी किसी को जूता-चप्पल मारकर होली की शुभकामनाएं देते है। जूते मार होली अंग्रेजों द्वारा किए गए जुल्म का विरोध करने के लिए खेली जाती है।

बृज में कहीं आपने रंगों की होली, लठ्ठमार होली, कपड़ा फाड़ होली, कीचड़ फेंक होली खेलते हुए सुना होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि यहां एक जगह ऐसी भी हैं। जहां एक दूसरे को गुलाल लगाकर जूता-चप्पल मार होली भी खेली जाती है। सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन ब्रज की इस अनोखी होली का एक अपना ही अगल अंदाज है। यहां खुटैलपट्टी के गांव बछगांव के लोग अपने से कम उम्र के लोगों को गुलाल लगाकर एक दूसरे के सिर पर जूता-चप्पल मार कर होली की शुभकामनाएं देते हैं।

ये परंपरा दशकों से चली आ रही है

गोवर्धन तहसील के गांव बछगांव में विगत सैकड़ों वर्षो से जूता-चप्पल मारकर होली मनाने की परंपरा है। इस होली में एक खास बात ये भी कि कोई भी किसी को जूता-चप्पल मारकर होली की शुभकामनाऐं देते है। इसके बाद बुजुर्ग होली, बृजगीत, रसिया गीत समेत अन्य प्रकार की गीतों के सहारे भजन कीर्तन करते हैं। इस प्रकार बृज में बछगांव में होली की अद्भुत परंपरा है।

आज हम आपको अनोखी होली के बारे में बताने जा रहे हैं। ऐसी होली आपने देश तो क्या पूरी दुनिया में नहीं देखी होगी। यह होली गोवर्धन के गांव बछगांव में खेली जाती है। जिसमें जूता-चप्पल मार होली खेली जाती है। यहां की होली शांतिपूर्ण तरीके से मनाई जाती है। जिसमें गांव भर के लोग जुटते हैं। हमउम्र लोग एक दूसरे गुलाल लगाकर जूते चप्पल मारकर स्वागत करते हैं। डेढ़ सौ वर्ष पुरानी है ये परपंरा गांव के प्रशांत सिंह के अनुसार यह परपंरा 100-150 वर्ष पुराना है। जूते मार होली अंग्रेजों द्वारा किए गए जुल्म का विरोध करने के लिए खेली जाती है। होली के दिन सुबह से शाम तक सभी लोग इसी प्रकार होली खेलते है। इसके बाद बुजुर्गो द्वारा फाल्गुन के रसिया गान पर थिरकते नजर आते हैं।