क्या राहुल गाँधी के कही बातों का सूद लेना कांग्रेस के सब नेता भूल गए हैं.......

क्या राहुल गाँधी के कही बातों का सूद लेना कांग्रेस के सब नेता भूल गए हैं.......

लेखक;- ब्रजेश सतपथी 

(कांग्रेस नेता व राजनैतिक विश्लेषक)

नजरिया,

रायपुर। जब अपने ही पार्टी का सर्वोच्च नेता विपक्षी पार्टी व सरकार के काम काज को लेकर बाकायदा एक वीडियो जारी कर बड़े ही शालीनता के साथ ऐसे सवाल पूछ ले कि सरकार को इसके सफाई में एक नहीं, दो नहीं  दस दस ट्वीट कर सफाई देना पड़े तो समझ जाइये बात बहुत गंभीर है। राहुल गांधी के इन सवालों को लेकर विदेश मंत्री एसजयशंकर को खुद सामने आ कर सफाई देना पड़े और उस सफाई में कोई ठोस बात नजर न आये तो ये और भी बेहद गंभीर है।

कांग्रेस पार्टी के अगुवा व युवा नेता राहुल गांधी मोदी सरकार को कोरोना काल शुरू होने के पहले ही सवालों के घेरे में लेते रहे हैं या कहें कोरोना काल में राहुल गांधी ने अपनी प्रासंगिकता को नए सिरे से स्थापित किया है तो कोई अतिसंयोक्ति नहीं होगा। राहुल गाँधी सही मायने में ऐसे सवालों को लेकर मोदी सरकार को घेरने का काम किया है जो वाकई बहुत गंभीर है। जिसके अर्थ मोदी सरकार भली भाँति समझ व जान  भी रही है। इसीलिए राहुल गाँधी को नजर अंदाज नहीं कर पा रही है और इसका जवाब भी देना पड़ रहा है, बल्कि ये कह सकते हैं मोदी टीम के पास इसका सही सही जवाब ही नहीं है ।

याद करिये उस वक्त को जब राहुल गांधी भारत में पहले नेता बने जब कोरोना को लेकर चेतावनी देनी शुरू कर दी थी। वो भी उस समय जब मोदी सरकार अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के स्वागत की तैयारी में लगी थी। कोरोना संकट की आहट पर राहुल गांधी ने 12 फरवरी 2020 को पहली बार ट्वीट कर बोला था कि कोरोना की गंभीरता को सरकार समझ नहीं रही है और मोदी सरकार ने करीब एक महीने बाद इस पर तत्परता से काम करना शुरू किया। इतना ही नहीं राहुल गाँधी ने ट्वीट कर उस समय आरोप लगाया था कि जब आरबीआई ने मेहुल चौकसी और नीरव मोदी को बैंक डिफ़ॉल्टर की सूची में डाला तो सरकार संसद में सच को क्यों छुपा रही थी। राहुल गांधी के इस ट्वीट ने मोदी सरकार को इतना परेशान किया कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राहुल गांधी के आरोप को ख़ारिज करने के लिए 13 ट्वीट किए। इनमें भले ही राहुल गांधी पर आरोप लगाए गए लेकिन इतना तो तय है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे पर बैकफ़ुट पर खेलती नज़र आई।यही सब वजह है कि एक रणनीति के तहत मोदी की एक टीम सोशल मीडिया के माध्यम से राहुल गाँधी को मजाक बनाने तुली रहती है ताकि लोगों का ध्यान मूल मुद्दे से हटा रहे। 

यहाँ सवाल उठता है। राहुल गाँधी जो सही मायने में कांग्रेस पार्टी के अग्रणी नेता हैं और देश के सामने जब गंभीर बातें रख रहे हैं, तो क्या कांग्रेस के उन तमाम नेताओं का फर्ज नहीं बनता की इसका सूद लें। क्या उनके कहे सवालों को लोगों के बीच ले जायें और बतायें की राहुल गाँधी देश हित में क्या करने जा रहे हैं। राहुल गाँधी के ऐसे कई सवाल हैं जो हाल ही के महीनों में आये उनमें राहुल गांधी द्वारा रघुराम राजन का लिया इंटरव्यू से लेकर उद्योगपति राजीव बजाज से बातचीत शामिल है।

छत्तीसगढ़ की राजनीति में अपनी अलग छबि व पहचान बना चुके विधायक व संसदीय सचिव विकास उपाध्याय की राजनैतिक सूझ बूझ की दाद देनी पड़ेगी, जो उन्होंने राहुल गांधी के एक वीडियो से प्रेरित होकर अपनी बात मीडिया के माध्यम से जनता के बीच आज रखा। राहुल गाँधी ने कल एक वीडियो अंग्रेजी में शेयर किया था जिसका हिंदी रूपांतरण इस प्रकार है,

वीडियो में वो समझाते हैं

 "एक देश को एक साथ कई चीजों की वजह से सुरक्षा मिलती है। इसमें पड़ोसियों और दूसरे मुल्कों के साथ उसके संबंध, अपनी ख़ुद की अर्थव्यवस्था और देश के नागरिकों की भावना और सोच शामिल हैं।"

वो कहते हैं, "दूसरे देशों के साथ हमारे संबंध बीते छह सालों में बिगड़े हैं। कई देशों के साथ हमारे रणनीतिक तौर पर अहम रिश्ते थे लेकिन अब तो रिश्ते लेन-देन तक सीमित हो गए हैं। पड़ोसी मुल्कों के साथ-साथ विदेशी मुल्कों के साथ हमारे रिश्ते बिगड़ गए हैं। "

"आज हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत सही नहीं है, न ही दूसरों के साथ हमारे संबंध पहले जैसे रह गए हैं। ऐसे में चीन से सोचा कि यही सही वक्त है जब भारत के खिलाफ लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर आक्रामक हुआ जा सकता है।"

राहुल के बोले एक-एक शब्द में वो भारी पन है जिसका जवाब मोदी सरकार के पास नहीं है और  कांग्रेस का कोई बड़ा नेता इस बात को राहुल के बाद आगे नहीं बढ़ाया। जबकि इसे लेकर पूरे देश में एक सकारात्मक माहौल बनाया जा सकता था। बावजूद छत्तीसगढ़ से विकास उपाध्याय ने इसकी शुरुआत कर राहुल गाँधी के इस पहल व सोच को लोगों के बीच ला कर बता दिया है की वे राहुल गाँधी के सोच से रोज परिचित होते हैं।