छत्तीसगढ़ कांग्रेस के ‘टॉर्च बियरर’ नेता विकास उपाध्याय की हार को सच मानने आखिर कोई तैयार क्यों नहीं...?
रायपुर(छत्तीसगढ़)।विकास उपाध्याय को कांग्रेस की राजनीति में सक्रियता से काम करते हुए देखते मुझे 25 साल हो गए और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ।आज की राजनीति में,ऐसे परिवेश में शायद ही कोई होगा जो राजनीति में रहते हुए अपने आप को,अपने व्यवहार को,अपने बोल चाल को,अपने चरित्र को,अपने हर उस तरीके को उसी अवस्था में रख सकने सफल होता होगा,जो आरंभिक दिनों में रहा।यहां तो वो नेता भी हैं जो मोहल्ले का कोई चुनाव जीत गए या अनुचित धन कहीं से कमा लिए तो दो दिन में ही तेवर बदल जाते हैं,पर विकास उपाध्याय को पार्टी में बड़े पदों में रहते,चुनाव जीत कर विधायक बनते तक मैंने देखा उनकी व्यक्तिगत व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया बल्कि उसमें और बढ़ोतरी ही हुई।आज भी वही मुस्कान, वही आदत...यह सब देख नहीं लगता यह व्यक्ति कभी कोई चुनाव हारेगा। पर इस बार परिणाम वही बता रहा है,उनके हजारों चाहने वाले अपने आंसू रोक नहीं पा रहे हैं।कई बिलखते,रोते अपने आप को दोष दे रहे हैं,कहीं उनसे खुद में कोई कमी तो नहीं रह गई, कैसे लोग विकास को नापसंद कर सकते हैं।आखिर क्या वजह है की लोग अब भी इस जनादेश को मानने,स्वीकार करने तैयार नहीं हैं!
मतगणना 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम के बाद जब विकास उपाध्याय को पराजित घोषित कर दिया गया।तब से लगातार सुबह से लेकर रात तक लोगों का उनसे मिलना अनवरत जारी है। प्रदेश में दूसरा शायद ही कोई नेता होगा जिससे लोग ऐसी स्थिति में मिलने हजारों की तादात में गए हों।यह इस बात का भी संकेत है कि लोगों ने ईमानदारी से मेहनत की और उन्हें यह परिणाम कतई स्वीकार्य नहीं है।लोगों की भावनाओं को जब विकास उपाध्याय ने देखा तो आज एक सामान्य संदेश भेज कर सोशल मीडिया में लिखा कि आज उनके सरकारी निवास पर वे कार्यकर्ताओं का आभार बैठक करेंगे और आप उनकी लोकप्रियता अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि निर्धारित समय के पूर्व ही हजारों की संख्या में लोग निवास में पहुंच गए थे।जैसे-जैसे समय होते गया पूरे परिसर में पांव रखने की भी जगह नहीं बची थी और एक के बाद एक कार्यकर्ताओं के मन की बात निकलने शुरू हो गए।कार्यकर्ताओं में वही जोश,वही उर्जा मानो 5 साल बीतते समय कब गुजर जाएगा पता भी नहीं चलेगा।सभी इस बात का भरोसा कसमें खा कर दिला रहे थे कि वे सब हर परिस्थिति में विकास उपाध्याय के साथ हैं और आगे भी रहेंगे।
विकास उपाध्याय ने क्या कहा यह भी महत्वपूर्ण है कि वे आगे क्या करने वाले हैं और उन्होंने ठीक वही बात कही जो कार्यकर्ताओं को सुनने का इंतजार था। विकास ने कहा, मैं मैदान नहीं छोड़ने वाला।आप लोगों के बीच आप लोगों के करीब रह कर वही संघर्ष करूंगा,वही साथ दूँगा जो अभी तक देते आ रहा हूँ।मेरा फोन नम्बर सब के पास है।जब भी किसी की जरूरत हो बताइएगा मैं हाजिर रहूंगा।हम भी चूड़ी पहन कर नहीं बैठे हैं।दमदारी से उनका मुकाबला करेंगे जो क्षेत्र का वातावरण दूषित करने का प्रयास करेंगे।दरअसल कई कार्यकर्ताओं ने इसके पहले कहा था कि भाजपा के लोग उनके घरों के सामने फटाके फोड़ कर उन्हें चुनौती दे रहे हैं और यह सिलसिला तक से लगातार जारी है जब से मूणत की विजयी हुई है।विकास उपाध्याय ने कहा अब तक जनसमस्याओं को वे खुद निदान कर रहे थे पर अब 5 साल तक नए जनप्रतिनिधि को मजबूर करेंगे कि वे जनता के बीच नजर आएं और यह लड़ाई जारी रहेगी पूरे 5 साल।
लोकतंत्र में लोकप्रिय नेताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती तब आती है जब वो किसी शख़्स या संगठन को चुनौती नहीं मानते और ये वही स्थिति है जो उन्हें हरा देती है।छत्तीसगढ़ में ऐसा वातावरण पैदा किया गया खास कर मीडिया द्वारा की यहां तो कांग्रेस के लिए कोई चुनौती ही नहीं है।सरकार तो बननी तय है,अब की बार तो 75 पार है और यही वो वजहें बनी की नेता बेपरवाह होते चले गए। यहाँ तक कि उन्हें तो अपने प्रतिद्वंद्वी की चिंता तक नहीं रही और वो भूल गए कि इस लड़ाई में असल प्रतिद्वंद्वी कौन है।पश्चिम से राजेश मूणत जरूर प्रत्याशी थे पर लड़ाई सीधे मोदी से थी।मूणत को तो उनके पार्टी के लोग आज भी पसंद नहीं करते, पर यहां विकास उपाध्याय भूल गए कि उनकी लड़ाई उस मोदी से है जो एक ध्रुवीकरण कराने वाले नेता हैं,वो यह भूल गए कि मोदी और उनकी पार्टी विरोधियों को ज़्यादा उकसाए बिना इशारों-इशारों में ध्रुवीकरण करने वाले संदेश भेज सांप्रदायिकता के बीज बो सकती है और हुआ भी वही लोग प्रत्याशियों के व्यक्तिगत छबि,उनके मुद्दे को भूल फूल में चले गए।